बिजली दरों में बदलाव ना करने के फैसले के खिलाफ याचिका दायर, ये बनाया आधार
- उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से प्रदेश की बिजली की दरों को लेकर एक फैसला लिया गया था. जिसमें राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरों में किसी तरह का बदलाव न करने का निर्णय लिया था. अब उ.प्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में पुनर्विचार याचिका दायर की है.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने हाल ही में बिजली दरों को कम करने के लिए एक फैसला सुनाया था. इस फैसले के अनुसार कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए राज्य विद्युत नियामक आयोग ने इस साल भी बिजली दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला लिया था. मतलब साफ है कि यूपी विद्युत नियामक आयोग ने बिजली के रेट बढ़ाने से मना कर दिया था अब इस फैसले के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है.
इस मामले में परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सोमवार को नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह और सदस्य केके शर्मा से मुलाकात कर पुनर्विचार याचिका प्रस्तुत की. इस याचिका में उपभोक्ताओं के 20 हजार करोड़ बिजली कंपनियों पर निकलने को आधार बनाया है. इसलिए बिजली दरें 34 फीसदी कम की जानी चाहिए. इसके साथ ही याचिका में बताया गया है कि कंपनियों की आर्थिक स्थिति के अनुकूल नहीं होने की स्थिति में पांच वर्षों तक सभी उपभोक्ताओं की बिजली की दरों में 6.8 फीसदी कम किया जाए.
यूपी सरकार ने बिजली दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का यह फैसला प्रदेश के 2022 विधानसभा चुनाव को देखते हुए भी लिया था. क्योंकि योगी सरकार के इस फैसले से जो आम आदमी बिजली के बोझ तले थे उन्हें काफी राहत मिलेगी. यूपी इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने कुछ दिन पहले साफ कह दिया था कि इस साल बिजली दर में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. यूपी विद्युत विभाग के इस फैसले से किसानों के ऊपर ट्यूबवेल कनेक्शन का कोई बोझ नहीं पड़ने वाला है.
UP में बिजली महंगी नहीं होगी, रेट बढ़ाने से नियामक आयोग का चुनावी साल में इनकार
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