दस लाख से कम आबादी वाले शहरों का भी होगा महानगरों जैसा विकास, बढ़ेंगी सुविधाएं
- शासन ने तय किया है कि प्रदेश के दस लाख से कम आबादी वाले और छोटे शहरों का भी अब बड़े और मेट्रोपोलिटन सिटीज की तरह बुनियादी विकास कराया जाएगा। इससे छोटे शहरों में रहने वाले लोगों का बड़े शहरों में पलायन रुकेगा। साथ ही मेट्रो शहरों में आबादी का दबाव भी कम होगा। वित्त आयोग इसके लिए धन की व्यवस्था करेगा

लखनऊ.अब तक विकास के कार्य सिर्फ महानगरों और दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में ही दिखाई पड़ते हैं। चौड़ी सड़कें, बिजली, पानी, आवासीय कॉलोनी, पार्क, उच्च शिक्षण संस्थान, अस्पताल, चिकित्सा संस्थान कॉलेज, विश्वविद्यालय, बड़े बाजार, माल्स और मनोरंजन के साधन महानगरों की पहचान हुआ करते हैं। प्रदेश सरकार इस धारणा को अब बदलने जा रही है।
सरकार ने तय किया है कि दस लाख कम आबादी वाले शहरों का विकास भी नगर निगमों की तरह योजनाबद्ध ढंग से कराया जाएगा। सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने और आधारभूत ढांचे मसलन सीवर लाइनें, स्ट्रीट लाइटें, शुद्ध पेयजल आपूर्ति, जलनिकासी की व्यवस्था, पार्कों को विकसित करने का काम छोटे शहरों में भी किया जाएगा।
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इससे इन शहरों के लोगों को स्थानीय स्तर पर ही सब सुविधाएं उपलब्ध होंगी और बड़े शहरों की ओर पलायन भी रुकेगा। साथ ही रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। इससे बड़े शहरों में जनसंख्या का दबाव भी कम होगा।
सरकार ने तय किया है कि दस लाख से कम आबादी वाले शहरों में बुनियादी सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रथम चरण विभिन्न वित्त निगमों से धन उपलब्ध कराया जाएगा। इन पैसों से नगर पालिका परिषदें और नगर पंचायतें अपने यहां विकास कार्य कर सकती हैं।
शासन का कहना है कि जल्द ही 15वें वित्त आयोग से पहली किस्त के रूप में 816.75 करोड़ रुपए उपलब्ध कराया जाएगा। वित्त आयोग के ही दिशा निर्देशों में इनको विभिन्न मदों में खर्च किया जाएगा। शासन का कहना है कि नगर निकायों के लिए यह जरूरी होगा कि वे इन पैसों को तय समय सीमा में ही खर्च करें और इसका पूरा ब्योरा भी शासन को उपलब्ध कराएं। सरकारी ने तय किया है कि विकास कार्य कराने के लिए विशेषज्ञों की टीम छोटे शहरों की स्थानीय जरूरतों का अध्ययन कर नई योजनाएं बनाएगी और उस पर अमल करने के लिए स्थानीय प्रशासन और नगर निकायों को सुझाव देगी। सरकार का कहना है कि इस पर जल्द ही कार्य शुरू किया जाएगा।
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