UP नंबर की एंबुलेंस से बढ़ सकती हैं मुख्तार अंसारी की मुसीबत, जानें मामला

Smart News Team, Last updated: Thu, 1st Apr 2021, 8:04 PM IST
  • मऊ से विधायक मुख्तार अंसारी को यूपी नंबर की जिस एम्बुलेंस से बुधवार को मोहाली कोर्ट में पेश करने के लिए लाया गया. वह अब उनके लिए मुसीबत की वजह बनने जा रही है. इस एम्बुलेंस को लेकर कई तरह के खुलासे हुए है. साथ ही इसका मऊ कनेक्शन भी सामने आया है. जिसे लेकर सरकार पूरी जांच कराएगी.
UP नंबर की एंबुलेंस से बढ़ सकती हैं मुख्तार अंसारी की मुसीबत, जानें मामला

लखनऊ. बुधवार को मऊ से विधायक मुख्तार अंसारी को मोहाली कोर्ट में पेश करने के लिए एम्बुलेंस से लाया गया. जिसका नंबर यूपी 41 एटी 7171 है. यूपी नंबर की यह एम्बुलेंस अब मुख्तार अंसारी के लिए मुसीबत का कारण बनने जा रही है. इस एम्बुलेंस को लेकर कई तरह के खुलासे हुए है. साथ ही पता चला है कि जिस अस्पताल के नाम यह एम्बुलेंस दर्ज है, उसका कोई अस्तित्व ही नहीं है. इस संबंध में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा है कि इस मामले की पूरी जांच कराई जाएगी.

जानकारी के अनुसार यह एम्बुलेंस मऊ की डॉ. अलका राय के अस्पताल श्याम संजीवनी के नाम से दर्ज है. इस बारे में डॉ. अलका राय ने बताया विधायक मुख्तार अंसारी के प्रतिनिधि ने 2013 में मऊ सदर से अस्पताल के नाम से एम्बुलेंस संचालित करने के लिए पेपर साइन करवाएं थे. जिसके बाद इस एम्बुलेंस को लेकर उनको कोई जानकारी नहीं है. उनका कहना है कि श्याम संजीवनी नाम का उनका अस्पताल मऊ जनपद में है. जबकि इस एम्बुलेंस का नंबर बाराबंकी जनपद से जारी किया गया है. जहां इस नाम का उनका कोई अस्पताल नहीं है.

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यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री एवं प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह का इस संबंध में कहना है कि सपा एवं कांग्रेस सरकार के सपोर्ट पाने से ही मुख्तार अंसारी आज बड़ा गैंगस्टर बन गया है. उन्होंने कहा है कि इस मामले की जांच की जाएगी कि मुख्तार एक एम्बुलेंस का इस्तेमाल निजी तौर पर कैसे कर रहे हैं? किस सरकार के कार्यकाल में मुख्तार को एम्बुलेंस मिली और एम्बुलेंस को किस तरह लग्जरी और बुलेट प्रूफ बनाया गया. साथ ही इसका इस्तेमाल पंजाब में कैसे हो रहा था, इसकी भी जांच करायी जाएगी.

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इस मामले में एआरटीओ पंकज वर्मा ने जानकारी दी कि 31 जनवरी 2017 को ही एम्बुलेंस का फिटनेस समाप्त हो चुका है. जिसे लेकर नोटिस भी दी गई थी. इस संबंध में जनवरी 2020 में आखिरी नोटिस भजी गई थी. जिसका न ही कोई जवाब आया और न ही कोई संपर्क करने आया. इस संबंध में बाराबंकी पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद का कहना है कि प्रकरण संज्ञान में आ गया है और जल्द ही पूरे मामले की जांच कराई जाएगी.

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