CM योगी का फैसला, UP में अब जमीन खरीदने से पहले DM के यहां देना होगा आवेदन

Smart News Team, Last updated: Mon, 14th Jun 2021, 8:07 PM IST
उत्तर प्रदेश में जमीन खरीदने से पहले रजिस्ट्री के लिए लगने वाले स्टांप शुल्क के लिए लोगों को अब जिलाधिकारी कार्यालय में आवेदन करना होगा. इस संबंध में स्टांप और रजिस्ट्री विभाग के प्रस्ताव को योगी सरकार ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है.
उत्तर प्रदेश में जमीन खरीदने से पहले अब लोगों को जिला अधिकारी के यहां आवेदन देना होगा.

 लखनऊ. राज्य में अब जमीन, मकान, फ्लैट, दुकान आदि भू-सम्पत्तियों की कीमत और ऐसी सम्पत्ति खरीदने से पहले रजिस्ट्री के लिए लगने वाले स्टांप शुल्क हेतु लोगों को जिलाधिकारी कार्यालय में आवेदन करना होगा. इस संबंध में सोमवार को कैबिनेट में स्टाम्प और रजिस्ट्री विभाग की तरफ से लाए गए प्रस्ताव को योगी सरकार ने अपनी स्वीकृति दे दी है. प्रदेश के स्टाम्प और रजिस्ट्री मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि कैबिनेट के इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद अब प्रदेश में भू-सम्पत्तियों की कीमत तय करने और रजिस्ट्री करवाते समय उस पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क को तय करने में विवाद नहीं होंगे और इस मुद्दे पर होने वाले मुकदमों की संख्या घटेगी.

स्टाम्प मंत्री ने बताया कि अब कोई भी व्यक्ति प्रदेश में कहीं भी कोई जमीन, मकान, फ्लैट, दुकान आदि खरीदना चाहेगा तो सबसे पहले उसे संबंधित जिले के जिलाधिकारी को एक प्रार्थना पत्र देना होगा. इसके साथ ही ट्रेजरी चालान के माध्यम से कोषागार में 100 रुपये का शुल्क जमा करना होगा. उसके डीएम लेखपाल से उस भू-सम्पत्ति की डीएम सर्किल रेट के हिसाब से मौजूदा कीमत का मूल्यांकन करवाएंगे. उसके बाद उस सम्पत्ति की रजिस्ट्री पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क का भी लिखित निर्धारण किया जाएगा.

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रवीन्द्र जायसवाल ने यह भी बताया कि अभी तक जो व्यवस्था चल रही थी उसमें कोई व्यक्ति भूमि या भवन खरीदना चाहता था तो उस भू-सम्पत्ति का मूल्य कितना है, इस पर कंफ्यूजन बना रहता है और खरीददार प्रॉपर्टी डीलर, रजिस्ट्री करवाने वाले वकील, रजिस्ट्री विभाग के अधिकारी से सम्पर्क करता था और उसमें मौखिक तौर पर उस भवन या भूमि की कीमत तय हो जाती थी, उसी आधार पर उसकी रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क लगता था. इसके बाद में विवाद की स्थिति तक पैदा होती जाती थी कि उक्त भू-संपत्ति की कीमत इतनी नहीं बल्कि इतनी होनी चाहिए थी, इस कारण से इसकी रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क कम वसूला गया. प्रदेश के स्टाम्प और रजिस्ट्री विभाग में ऐसे मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही थी जिस पर अंकुश लगाने के लिए यह फैसला लिया गया है.

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