उम्मीद टूटी: आचार संहिता लगने से रोडवेज के 699 मृतक आश्रितों की भर्ती लटकी
- पांच साल से भर्ती की आस लगाए मृतक आश्रितों की उम्मीद उस समय टूट गई, जब चुनाव आचार संहिता की घोषणा हुई. परिवहन निगम में लखनऊ समेत प्रदेश में 699 मृतक आश्रितों की सूची तैयार की गई थी. पर किसी कारणों से मृतक आश्रितों की फाइल पर मंजूरी नहीं मिल सकी. ऐसे में अब मृतक आश्रितों को नई सरकार बनने तक इंतजार करना होगा.
_1641867475270_1641867484771.jpeg)
लखनऊ. पांच साल से भर्ती की आस लगाए मृतक आश्रितों की उम्मीद उस समय टूट गई, जब चुनाव आचार संहिता की घोषणा हुई. परिवहन निगम में लखनऊ समेत प्रदेश में 699 मृतक आश्रितों की सूची तैयार की गई थी. इस पर बीते पांच जनवरी को कैबिनेट बैठक में फैसला होना था, पर किसी कारणों से मृतक आश्रितों की फाइल पर मंजूरी नहीं मिल सकी. ऐसे में अब मृतक आश्रितों को नई सरकार बनने तक इंतजार करना होगा.
परिवहन निगम में अंतिम बार साल 2016 में भर्ती हुए थे.उस दौरान 1200 मृतक आश्रित का मामला था. परिवहन निगम में मृतक आश्रितों की भर्ती का मुद्दा कई साल से उठ रहा था. शासन ने मामले को संज्ञान में लेकर साल 2019 में मृतक आश्रितों का ब्यौरा मांगा. वही रोडवेज अफसरों की हीलाहवाली के चलते एक साल बाद मृतक आश्रितों की फाइल शासन भेजी गई. इस बीच रोडवेज कर्मचारी संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राकेश सिंह के साथ शासन के अफसरों से बातचीत दौरान जल्द ही मृतक आश्रितों को सेवा में लिए जाने की सहमति बनी. लेकिन अफसरों की धीमी कार्य से भर्ती लटक गई.
लखनऊ PGI के ओपीडी में 13 जनवरी से 20 नए और 30 पुराने मरीज देखे जाएंगे
तीन माह तक करना होगा इंजतार
परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक (कार्मिक) अतुल जैन बताया कि पांच जनवरी 2022 को मृतक आश्रितों की फाइल पर फैसला होना था. पर शासन स्तर पर यह निर्णय नहीं हो सका. ऐसे में अब नई सरकार की घोषणा के बाद ही मृतक आश्रितों की भर्ती की फाइल दोबारा शासन भेजी जाएगी. परिवहन निगम में किसी भी पद पर तैनात किसी कर्मी की अगर मृत्यु होती है तो उसके बदले में बस कंडक्टर की ही नौकरी का प्रावधान है. ऐसे में मैकेनिक हो या चालक-परिचालक या प्रधान प्रबंधक के परिजन को बस कंडक्टर की नौकरी के लिए ही पात्र माने जाएंगे.