मौत के बाद संबंधित शख्स के आधार और पेन का क्या करना चाहिए... जानें पॉलिसी

ABHINAV AZAD, Last updated: Fri, 26th Nov 2021, 3:34 PM IST
  • एलपीजी सब्सिडी का लाभ उठाने और सरकार से छात्रवृत्ति लाभ, ईपीएफ खातों आदि के मामले में आधार नंबर जरूरी है. आधार एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर है, इसलिए मरने के बाद भी नंबर बना रहता है.
(प्रतीकात्मक फोटो)

लखनऊ. क्या आपने कभी सोचा है कि किसी व्यक्ति की मौत हो गई है तो उसके परिजनों को उसके सरकारी आधिकारिक दस्तावेज जैसे पेन और आधार कार्ड का क्या कना चाहिए. साथ ही क्या इस दस्तावेज को किसी सरकारी संस्था को सौंप सकते हैं या नहीं. आज हम आपको बताएंगे कि इस तरह के हालात में आपको क्या करना चाहिए. दरअसल, आधार नंबर पहचान और पते का प्रमाण होता है. एलपीजी सब्सिडी का लाभ उठाने, सरकार से छात्रवृत्ति लाभ, ईपीएफ खातों आदि के मामले में आधार नंबर जरूरी है. आधार एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर है इसलिए मरने के बाद भी नंबर बना रहता है.

बताते चलें कि आधार को गवर्न करने वाली संस्था यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) अब तक राज्यों में डेथ रजिस्ट्री से जुड़ी नहीं है, इसलिए डेथ को दर्शाने के लिए आधार ऑटोमेटिक रूप से अपडेट नहीं होता. दरअसल, मौजूदा वक्त में मृत्यु के पंजीकरण या मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए भी आधार अनिवार्य नहीं है, इसलिए परिवार के सदस्यों के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इसका कोई गलत उपयोग नहीं हो. हालांकि बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के दुरुपयोग को रोकने के लिए, कानूनी उत्तराधिकारी UIDAI की वेबसाइट पर मृत व्यक्ति के बायोमेट्रिक्स को लॉक करवा सकते हैं.

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ऐसे में पैन कार्ड धारक की मौत होने के बाद भी अगर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया जाना है तो परिवार को इसकी आवश्यकता पड़ेगी. वहीं अगर मृतक का कोई इनकम टैक्स रिफंड ड्यू है, तो ये राशि उसके बैंक अकाउंट में जमा होगी. ऐसे में बैंक अकाउंट को क्लोज करने और इनकम टैक्स से संबंधित काम होने के बाद आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को पैन कार्ड सरेंडर कर सकते हैं. पैन कार्ड सरेंडर करने के लिए, कानूनी उत्तराधिकारी को असेसिंग ऑफिसर (AO) को एक आवेदन लिखना होगा. पत्र में पैन कार्ड सरेंडर करने का कारण (यानी, धारक की मृत्यु), नाम, पैन और मृतक की जन्म तिथि, उसके मृत्यु प्रमाण पत्र की एक प्रति के साथ देना होगा.

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