पत्नी चली प्रमोशन कराने पर पति को गंवानी पड़ गई नौकरी, ऐसे खुली प्रोफेसर की पोल

Smart News Team, Last updated: Sat, 27th Mar 2021, 7:57 PM IST
  • डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के घटक संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) का है. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रमोशन पाने के प्रयास में एक प्रोफेसर को नौकरी से हाथ धोना पड़ा
पत्नी चली प्रमोशन कराने पर पति को गंवानी पड़ गई नौकरी, ऐसे खुली प्रोफेसर की पोल (प्रतीकात्मक फ़ोटो)

लखनऊ: प्रमोशन के चक्कर नौकरी गवाने का के बारे में क्या आपने सुना है, जी हां प्रोफेसर साहब चले थे प्रमोशन कराने बदले में गवानी पड़ गई नौकरी. मामला डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के घटक संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) का है. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रमोशन पाने के प्रयास में एक प्रोफेसर को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. आरोपित प्रोफेसर जांच में दोषी पाया गया. जिसके बाद विवि के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने निर्देश जारी कर प्रोफेसर पर निलंबन की कार्रवाई की गई है.

एकेटीयू के कुलपति (वाइस चांसलर) प्रो विनय कुमार पाठक ने बताया कि आईईटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में सतेंद्र सिंह बतौर एसोसिएट प्रोफेसर कार्यरत थे. सतेंद्र द्वारा कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत एसोसिएट प्रोफेसर से प्रोफेसर पद के लिए दावेदारी प्रस्तुत की गई थी. इस के लिए सतेन्द्र सिंह द्वारा विभिन्न एकेडमिक एवं रिसर्च संबंधित दस्तावेज लगाए गए थे. 

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मगर चयन समिति द्वारा सतेंद्र सिंह को प्रोफेसर पद पर प्रमोशन के लिए एलिजिबल नहीं पाया. इसपर सत्येंद्र की पत्नी द्वारा शासन को शिकायत कर प्रमोशन प्रक्रिया में गड़बड़ी किए जाने का आरोप लगाया. सत्येंद्र की पत्नी का कहना था कि उनकी पति सतेन्द्र का प्रमोशन नियमानुसार की जानी चाहिए थी, जो नहीं की गई. सत्येंद्र की पत्नि की शिकायत के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर सत्येंद्र सिंह से संंबंधित शैक्षिक प्रमाणपत्र व अन्य दस्तावेज की जांच कराई गई. 

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जिसमें सत्येंद्र द्वारा लगाए गए प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाने का खेल सामने आया. विवि के प्रवक्ता डॉ आशीष मिश्र ने बताया कि जिन संस्थानो के प्रमाणपत्र उनके द्वारा लगाए गए, उन संस्थानों द्वारा इन्हें कूटरचित और फर्जी तरीके से बनवाने वाला बताया है. ऐसे हालात में डॉ सतेन्द्र को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. साथ ही प्रकरण की जांच के लिए एक त्रिसदस्यीय समिति बना दी गयी है. समिति में एचबीटीयू के आचार्य प्रो. करुणाकर सिंह, विवि के डीन पीजी प्रो एमके दत्ता व विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. राजीव कुमार शामिल हैं. जांच समिति एक माह में प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट देगी. उसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

 

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