UP उपखनिज नियमावली 2021 को मंजूरी, कृत्रिम बालू भी उपखनिज में शामिल
- योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली-1963 को खत्म कर उसके स्थान पर नई उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली-2021 को मंजूरी दी है. साथ ही अब कृत्रिम बालू भी उपखनिज में शामिल हो गया है.
लखनऊ. कैबिनेट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली-1963 को खत्म कर दिया. दरअसल, अब कैबिनेट ने उसके स्थान पर नई उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली-2021 को हरी झंडी दे दी है. बताते चलें कि राज्य सरकार ने बालू-मौरंग के विकल्प के रूप में इस्तेमाल हो रही कृत्रिम बालू (एम-सैंड) को भी उपखनिज में शामिल कर लिया है.
बताते चलें कि कृत्रिम बालू बड़े-बड़े पत्थरों को पीसकर बनाई जाती है. जबकि इसके साथ ही कृषि भूमि पर बरसात से जमा हुई बालू, मौरंग, बजरी व बोल्डर को हटाने के लिए दोगुनी रॉयल्टी पर तीन माह की अवधि का खनन पट्टा मिलता है. सरकार ने इसके नियमों में भी संशोधन कर उसे और सरल बनाया है. योगी कैबिनेट ने गुरुवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिये उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली-1963 को खत्म कर उसके स्थान पर नई उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली-2021 को हरी झंडी दे दी है.
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दरअसल, सरकार ने पुरानी नियमावली को इसलिए खत्म किया, क्योंकि उसमें अब तक 53 संशोधन हो चुके हैं. ऐसे में न्यायालय, मंडल एवं जनपद स्तर पर उसे लागू करवाने में परेशानी हो रही थी. नई नियमावली में सरकार ने जो व्यवस्था की है उसके अनुसार यदि खनन पट्टा या टेंडर समाप्त होता है या पट्टाधारक किन्हीं कारणों से वापस करता है तो नए पट्टाधारक को खनन योजना एवं पर्यावरणीय अनापत्ति ट्रांसफर कर दी जाएगी. कृषि भूमि पर बरसात से जमा हुई बालू, मौरंग, बजरी व बोल्डर को हटाने के लिए दोगुनी रॉयल्टी पर तीन माह की अवधि का खनन पट्टा मिलता है. सरकार ने इसके नियमों में भी संशोधन कर उसे और सरल बनाया है.
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