Dhanteras 2021: यम को खुश करने और अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर जलाएं ये खास दीप, जानें विधि

Pallawi Kumari, Last updated: Sun, 31st Oct 2021, 8:57 AM IST
  • दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस होता है. इस बार धनतेरस 2 नवंबर 2021 को है. धनतेरस के दिन मत्यु के देवता यमराज के लिए दिया जलाया जाता है, जिसे यम दीप कहते हैं. मान्यता है कि धनतेरस के दिन यम दीप जलाने और पूजा करने से यमराज खुश होते और अकाल मृत्यु नहीं होती.
धनतेरस के दिन यम दीप जलाने की विधि.

प्रकाश व रोशनी का त्योहार दिवाली के हर ओर दीपों की जगमगाहट देखने को मिलता है. दिवाली कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है. कहा जाता है कि इसी दिन प्रभु श्री राम 14 साल का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे और उनके स्वागत में पूरी अयोध्या को दीपों से रौशन किया गया था. तब से इस दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. दिवाली के दिन हर घऱ में विशेष पूजा-पाठ होती है और दीप जलाए जाते हैं. इस बार दीपावली 4 नवंबर को मनाई जाएगी. 

लेकिन दिवाली से पहले धनतेरस के दिन भी दीप जलाने और पूजा पाठ करने की परंपरा है. कहा जाता है कि धनतेरस के दिन यमराज देव को खुश करने और अकाल मृत्यु से बचने के लिए उनकी पूजा की जाती है और दीप जलाए जाते हैं. इसे यम दीप कहा जाता है. कुछ लोग एक दिया जलाते हैं और कुछ इस दिन 13 दीप जलाते हैं. लेकिन बहुत कम लोगों को यह मालूम होता है कि आखिर यम दीप क्यों जलाया जाता है और इसे जलाने की विधि क्या है. आइये आज आपको इस खबर में बताते हैं यम दीप से जुड़ी जरूरी बातें.

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यम दीप जलाने का सही समय- जब घर के सारे लोग काम काज से लौट कर आ जाएं और खाना पीना खाकर सोने के लिए बिस्तर पर चले जाएं, तब इस दीप को जलाना चाहिए. कहा जाता है कि यम दीप नए दीये में नहीं बल्कि पुराने दीये में जलाना चाहिए. कुछ लोग तो दीवाली के पुराने दिए भी जलाते हैं. लेकिन यदि आपके पास एक साल पुराना दीपक न हो तो आप पहले से इस्तेमाल किया गया कोई भी पुराना मिट्टी का दिया ले सकते हैं. इस दिए को सरसों के तेल से जलाया जाता है. घर के कोने में दिया दिखाने के बाद घऱ के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दिए को रख दें.

यम दीप जलाने की विधि-धनतेरस के दिन आटे का चार मुख (चौमुखा) दीया बना लें या फिर कोई पुराना इस्तेमाल किया हुआ मिट्टी का दिया ले लें. रात के समय दीप में तेल डालकर चार बत्तियां लगाकर जलाएं. इसके बाद घर के कोन में दीप को दिखा कर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जप करते हुए यम का पूजन करें. फिर घर के बाहर मुख्य द्वार पर इस दीप को रख दें.

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