Cancer Research: वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा, गोरे लोगों में होता है कैंसर का खतरा ज्यादा

Ruchi Sharma, Last updated: Sat, 5th Mar 2022, 10:01 AM IST
  • Cancer Research UK कैंसर बीमारी को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. शोधकर्ताओं ने कहा कि अश्‍वेत और एश‍ियाई लोगों में कैंसर होने का खतरा कम है. वहीं, गोरे लोगों में कैंसर का खतरा ज्‍यादा है. यह बात कैंसर रिसर्च यूके ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है.
गोरे लोगों में होता है कैंसर का खतर

Cancer Research कैंसर एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जिससे शरीर के किसी भी हिस्से की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं और ऐसी स्थिति में कभी कभी इंसान का बचना बहुत मुश्किल होता है. इस बीच कैंसर बीमारी को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. शोधकर्ताओं ने कहा कि अश्‍वेत और एश‍ियाई लोगों में कैंसर होने का खतरा कम है. वहीं, गोरे लोगों में कैंसर का खतरा ज्‍यादा है. यह बात कैंसर रिसर्च यूके ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है.

ब्रिटेन के कैंसर रिसर्च संस्थान के एक शोध में यह बात सामने आई है कि 40 फीसदी श्वेतों को उनकी लाइफस्टाइल के कारण कैंसर होता है. हालांकि कुछ को कैंसर होने का कारण आनुवंशिक भी होता है. वहीं, शोध में कहा गया कि कई कैंसर जनित रोगों का यदि समय पर पता चल जाए तो इसे रोका जा सकता है.

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गोरे लोगों में कैंसर होने का खतरा अधिक

अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि अश्वेत और एशियाई लोगों को गोरे लोगों की अपेक्षा कैंसर होने का खतरा कम रहता हैं. हालांकि रिसर्च में यह भी बताया गया कि इसके ठीक विपरीत अश्वेतों को गोरों की तुलना में ‘ब्लड कैंसर’ और ‘प्रोस्टेट कैंसर’ जैसी बीमारियां अधिक होती हैं.

खराब लाइफस्टाइल के चलते हो सकता है कैंसर

अध्ययन के मुताबिक गोरे लोगों की तुलना में एशियाई लोगों में कैंसर की दर 38 प्रतिशत कम, अश्वेत लोगों में 04 प्रतिशत कम और मिश्रित-विरासत वाले लोगों में 40 प्रतिशत कम पाई गई. इस शोध में शामिल डॉ. कैथरिन ब्राउन ने बताया कि शरीर में कैंसर का विकास अलग-अलग कारणों से होता है. किसी को आनुवंशिक रूप से जीन के जरिए कैंसर रोग मिलता है, तो किसी में खराब लाइफस्टाइल के चलते ऐसा होता है.

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एशियाई लोगों में लिवर कैंसर की आशंका अधिक

डॉ. कैथरिन ब्राउन ने बताया कि ब्रिटेन में 40 प्रतिशत लोगों को कैंसर उनके द्वारा चुनी हुई लाइफस्टाइल के कारण होता है.एशियाई लोगों में लिवर कैंसर की आशंका अधिक होती है. एशियाई लोगों से मतलब बांग्लादेशी, चीनी, भारतीय और पाकिस्तानी लोगों से है. वहीं अश्वेत का मतलब कैरिबियन से है और श्वेत का मतलब ब्रिटिश, आयरिश सहित अन्य से जो गोरे होते हैं.

समय में जांच है जरूरी

रिसर्चर्स में यह बात भी कही गई है कि कैंसर को रोकने के लिए स्‍मोकिंग से दूरी, वजन को कंट्रोल में रखना और समय से जांच का होना जरूरी है. ऐसा करके कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं.

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