अजब गजब: लाल नहीं गोल्डन भी होता है खून का रंग, दुनिया में सिर्फ 43 ऐसे लोग

Ruchi Sharma, Last updated: Sat, 22nd Jan 2022, 4:17 PM IST
  • वैज्ञानिकों के मुताबिक दुनिया में सिर्फ 43 लोगों में गोल्डन ब्लड पाया जाता है. इस ब्लड ग्रुप का असली नाम है आरएच नल. दुर्लभ होने की वजह से वैज्ञानिकों ने इसे गोल्डन ब्लड नाम दिया है. सबसे हैरानी की बात है कि इस ब्लड ग्रुप के दुनियाभर में इस ब्लड ग्रुप के केवल 9 सक्रिय दाता हैं.
प्रतीकात्मक चित्र

हम सभी जानते हैं कि हमारे खून में रेड ब्लड सेल्स होती हैं, जिन्हें आरबीसी भी कहा जाता है. यही सेल्स शरीर में मौजूद सभी टिश्यू तक ऑक्सीजन ले जाने का काम करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शरीर में एक और प्रकार का ब्लड ग्रुप होता है. यह दुर्लभ गोल्डन ब्लड दुनियाभर में 43 लोगों में ही पाया जाता है. इस ब्लड ग्रुप का असली नाम है आरएच नल. दुर्लभ होने की वजह से वैज्ञानिकों ने इसे गोल्डन ब्लड नाम दिया है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक गोल्डन ब्लड रखने वाले दुनिया में सिर्फ 43 लोग ही हैं. इसके बारे में पहली बार साल 1961 में पता चला था. जब एक ऑस्ट्रेलियन गर्भवती महिला के खून की जांच की गई थी. यह खून बहुत उपयोगी होता है,क्योंकि जरूरत पड़ने पर यह उन्हीं लोगों के शरीर में पाया जाता है जिनका आरएच फैक्टर शून्य होता है यानी आरएच नल होता है. ऐसे लोगों के Rh सिस्टम में 61 संभावित एंटीजन की कमी होती है, इसलिए इस ब्लड ग्रुप के साथ जीने वाले लोगों के लिए जोखिम भरी स्थिति पैदा हो जाती है. गोल्डन ब्लड ग्रुप या आरएच नल ब्लड ग्रुप में रेड ब्लड सेल पर कोई आरएच एंटीजन (प्रोटीन) नहीं होता.

दुनियाभर में 9 सक्रिय दाता

किसी भी ब्लड ग्रुप के दुनियाभर में इस ब्लड ग्रुप के केवल 9 सक्रिय दाता हैं. यही वजह है कि ये दुनिया का सबसे कीमती ब्लड ग्रुप है और इसका नाम गोल्डन ब्लड रखा गया है. गोल्डन ब्लड ग्रुप में व्यक्ति में सभी Rh एंटीजन की कमी होती है, जबकि Rh निगेटिव ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति में केवल RhD एंटीजन की कमी होती है. गोल्डन ब्लड ग्रुप जेनेटिक म्यूटेशन का परिणाम है.

इस तरह की हो सकती है समस्याएं

गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले लोगों में हेमोलिटिक एनीमिया, हीमोग्लोबिन का लेवल कम होने से शरीर में पीलापन और थकान होने की समस्या हो सकती है. ऐसी स्थिति में रेड ब्लड सेल्स के कम होने का खतरा हो सकता है. ऐसे लोगों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान दिक्कतों का करना पड़ सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर मां का आरएच नल है और बच्चे का आरएच-पॉजिटिव ब्लड ग्रुप है, तो गर्भपात का जोखिम बढ़ सकता है.

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