Karva Chauth 2021: पूजा के वक्त जरूर पढ़ें करवा चौथ की ये कहानी, कच्चे धागे का है महत्व

Deepakshi Sharma, Last updated: Sat, 23rd Oct 2021, 2:08 PM IST
  • पति-पत्नी के रिश्ते में मजबूती लाने वाला पर्व करवा चौथ इस बार 24 अक्टूबर को पड़ रहा है. इस दिन महिलाएं करवा चौथ की कहानी सुनकर अपनी, चांद देखने और पति का पति का चेहरा छलनी से देखने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं. ऐसे में आइए आपको बताते हैं करवा चौथ की व्रत कथा और उससे जुड़े कच्चे धागे का महत्व.
करवा चौथ पर व्रत की कहानी

लखनऊ. पति-पत्नी के जीवन में प्यार और मजबूती लाना वाला करवा चौथ का व्रत इस बार 24 अक्टूबर को पड़ रहा है. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत रखती हैं. चांद को अर्घ्य देने और छलनी से अपने पति का चेहरा देखकर महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं. वहीं, कुंवारी कन्याएं मनचाहा पति प्राप्त करने के लिए इस दिन निर्जला व्रत रखकर तारों को देखती हैं. बाद में जाकर फिर वो अपना व्रत खोलती हैं. ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं करवा चौथ की कहानी के बारे में यहां जिसके बिना अधूरा रहेगा आपका व्रत.

करवा चौथ की कहानी

करवा चौथ की कहानी कुछ इस तरह से है- देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्र नदी के पास रहती थी. एक दिन उनके पति स्नान करने के लिए एक नदी में गए जहां पर एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी में उन्हें खिंचने लगा. मौत को अपने इतने करीब देखकर करवा के पति उन्हें पुकारने लगे. करवा दौड़कर नदीं के पास पहुंची और उन्होंने अपने पति को मौत के मुंह में ले जाते हुए मगरमच्छ को देखा. तुरंत ही करवा ने एक कच्चा धागा लेकर मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया. करवा के सतीत्व के चलते मगरमच्छा कच्चे धागे में ऐसा बंधा की टस से मस नहीं हो पा रहा था. करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फंसे हुए थे.

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इसके बाद करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति को जीवनदान और मगरमच्छ को मृत्यदंड देने के लिए कहा. यमराज ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया. ऐसा इसीलिए क्योंकि मगरमच्छ की आयु अभी बची हुई थी और करवा के पति की आयु पूरी हो चुकी थी. गुस्से में आकर करवा ने यमराज से कहा कि अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको शाप दे दूंगी. सती के शाप से घबराकर यमराज ने तुरंत ही मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया. इसलिए ही करवा चौथ के व्रत में सुहागन स्त्रियां करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना.

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सावित्री ने भी किया था कच्चे धागे का इस्तेमाल

करवा माता की तरह ही सावित्री ने भी कच्चे धागे से अपने पति को वट वृक्ष के नीचे लपेट कर रख था. कच्चे धागे में लिपटा प्रेम और विश्वास ऐसा था कि यमराज सावित्री के पति के प्राण अपने साथ लेकर नहीं जा सकें. सावित्री के पति के प्राण को यमराज को लौटाना पड़ा और सावित्री को वरदान देना पड़ा कि उनका सुहाग हमेशा बना रहेगा और लंबे समय तक दोनों साथ रहेंगे.

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