लखनऊ के गौ आश्रय स्थल बनेंगे आत्मनिर्भर, मत्स्य पालन से आय में वृद्धि
उत्तरप्रदेश सरकार ने गौ आश्रय स्थलों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना बनाई. मत्स्य पालन से लखनऊ के गौशालाओं की आय वृद्धि होगी. लखनऊ में गौ आश्रय अब सरकार के ही नहीं स्वावल्म्बी बनकर अपना खर्च उठा पाएंगे.
गौ आश्रय स्थलों को आत्मनिभर बनाने के लिए योजना बनाई जा रही है. जिसमें जीवामृत, गोमूत्र से अर्क और फिनाइल व गोबर के कम्पोस्ट को तैयार करके बाजार में बेचने से खुद के खर्च निकालने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. गौ आश्रयों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खास रोजगार से जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी गई है. उत्तर प्रदेश के गौशालाओं में तालाब बनाकर मछली पालन का काम किया जाएगा.
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मत्स्य विभाग द्वारा गौ आश्रयों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद की जाएगी. अतिरिक्त भूमि पर तालाब खोदकर उसमें छोटी मछलियां डालने से लेकर बेचने लायक बनाने तक की देखभाग भी मत्यस्य विभाग करेगा. एक प्रक्रिया बनने के बाद आश्रय स्थल मछलियों को बेचकर अपनी आय बढ़ाएंगे.
जानकारी के अनुसार प्रदेश में 5 हजार से ज्यादा गौ आश्रय स्थल हैं जिसमें से आधे से ज्यादा के पास एक एकड़ या उससे ज्यादा भूमि है. बंजर भूमि पर बने होने के कारण यहां खेती-किसानी नहीं की जा सकती है.
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मनरेगा के अंतर्गत गौ आश्रयों की अतिरिक्त भूमि पर तालाब बनाए जाएंगे. लखनऊ में इस योजना पर काम भी शुरू किया जा चुका है. सरकार की पहल के द्वारा इन आश्रय स्थलों पर दूध के साथ कम्पोस्ट खाद का कारोबार शुरू किया जा चुका है. सरकार को उम्मीद है कि मत्सय पालन से गौ आश्रय स्थलों की आय में वृद्धि होगी.
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