लखनऊ का ‘दिलकुशा कोठी’ जानें कैसे बना आजादी की लड़ाई का हिस्सा
- कोठी को नवाबों के शिकार लॉज के रूप में बनवाया गया था. बारोक वास्तुकला शैली में निर्मित दिलकुशा कोठी लखनऊ में सबसे शानदार स्मारकों में से एक है. यह लखनऊ छावनी क्षेत्र के पास एनईआर कॉलोनी में स्थित है.
नवाबों का शहर कहा जाने वाला लखनऊ अपनी ऐताहसिक धरोहरों को लेकर दुनियाभर में मशहूर है. शहर के कोने-कोने से शानोशौकत की छलक देखने को मिलती है. गोमती नदी के किनारे बसा लखनऊ शहर अपनी वास्तुकलात्मक इमारतों के लिए जाना जाता है. ऐसी ही एक ऐतिहासिक धरोहर है दिलकुशा कोठी. इस कोठी का निर्माण सन् 1800 में एक ब्रिटिश मेजर गोरे ऑस्ले ने करवाया था.
गोरे ऑस्ले अवध के नवाब के दोस्त हुआ करते थे. यूं तो अब यह कोठी खंडहर में तब्दील हो चुकी है. लेकिन इसमें इंग्लैंड के नॉर्थम्बरलैंड के सिटॉन डेलावल हॉल के पैटर्न की झलक देखने को मिलती है. कोठी को नवाबों के शिकार लॉज के रूप में बनवाया गया था. बारोक वास्तुकला शैली में निर्मित दिलकुशा कोठी लखनऊ में सबसे शानदार स्मारकों में से एक है. यह लखनऊ छावनी क्षेत्र के पास एनईआर कॉलोनी में स्थित है.
कोठी में नहीं है कोई आंगन: गोमती नदी के तट पर बसी दिलकुशा कोठी में कोई आंगन नहीं है. यह बेहद ही हैरान करने वाली है क्योंकि, पुराने जमाने के सभी राजाओं और नवाबों को खुले में रहने की आदत थी इसलिए वह अपने घर में आंगन जरूर बनवाते थे.
1857 की क्रांति में स्वतंत्रता सेनानियों ने किया था दिलकुशा कोठी का इस्तेमाल: दिलकुशा कोठी का इस्तेमाल स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी की पहली लड़ाई के दौरान किया था. ब्रिटिश सेना द्वारा कोठी पर भारी गोलाबारी की गई. जिसके बाद धीरे-धीरे यह कोठी अपनी भव्यता खोती चली गई. दिलकुशा का बहुत सा भाग तो छावनी और नयी बस्तियों के पांव तले दब चुका है, फिर भी थोड़े से हिस्से को सजा संवार कर रखा गया है, जिसमें एक शिकारगाह के खंडहर और एक गोल बारादरी अब भी देखने को मिलती है.
दिल्ली से लखनऊ की दूरी: दिल्ली से लखनऊ की दूरी करीब 553.8 किलोमीटर है. आप बस, ट्रेन या फिर फ्लाइट से लखनऊ तक का सफर तय कर सकते हैं. बस के रास्ते दिल्ली से लखनऊ पहुंचने में केवल 7 घंटे 55 मिनट का समय लगता है. वहीं अगर आप ट्रेन से सफर करना चाहते हैं तो इसमें केवल 6-7 घंटे का समय लगेगा. फ्लाइट से केवल एक घंटे 10 मिनट में आप दिल्ली से लखनऊ पहुंच सकते हैं.
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