260 खंबों पर बनी है लखनऊ की जामा मस्जिद, इमारत पर की गई कारीगरी के लिए है मशहूर
- लखनऊ की जामा मस्जिद, जिसे साल 1839 में नवाब मोहम्मद अली शाह बहादुर द्वारा बनवाया गया था। हालांकि मस्जिद को पूरा करवाने का काम उनकी पत्नी मल्लिका जहां बेगम ने 1840 में करवाया था।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ शहर अपनी नायाब संस्कृति, तहजीब और पकवान के लिए खूब जाना जाता है. नवाबों का शहर कहे जाने वाले लखनऊ में ऐसी कई इमारतें भी हैं जो यहां के गौरवशाली इतिहास को बयां करती हैं. भले ही कोई किला हो या फिर मकबरा, मंदिर हो या मस्जिद, हर एक इमारत में लखनऊ की शान झलकती है. इन्हीं इमारतों में से एक है लखनऊ की जामा मस्जिद, जिसे साल 1839 में नवाब मोहम्मद अली शाह बहादुर द्वारा बनवाया गया था. हालांकि मस्जिद को पूरा करवाने का काम उनकी पत्नी मल्लिका जहां बेगम ने 1840 में करवाया था.
यह लखनऊ की मशहूर प्राचीन इमारतों में से एक है. कहा जाता है कि इसका आकार दिल्ली की जामा मस्जिद से भी बड़ा होता और नवाब का मस्जिद बनवाने का इरादा भी यही था. लेकिन उनकी मौत के कारण यह इच्छा पूरी नहीं हो पाई. हालांकि आकार से इतर मस्जिद अपनी सुंदर कारीगरी और चित्रकारी के लिए खूब जानी जाती है. जहां दिल्ली की जामा मस्जिद को लाल पत्थर से बनवाया गया है तो वहीं लखनऊ की यह जामा मस्जिद चूने से बनी है. सफेद चूने से मस्जिद में की गई कारीगरी भी यहां पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है. लेकिन कहा जाता है कि अगर आप नमाजी हैं, तभी यहां की कारीगरी आप देख पाएंगे, क्योंकि गैर नमाजी इंसान को अंदर जाने की अनुमति नहीं है.
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लखनऊ की जामा मस्जिद करीब 260 खंबों पर खड़ी हुई है और यहां कुल 11 मेहराब बने हुए हैं. मस्जिद के गुंबद और मीनारों से लेकर इसका दरवाजा भी काफी खूबसूरत शैली में तैयार किया गया है, जो मस्जिद के आकर्षण को और भी ज्यादा बढ़ाता है. मस्जिद का प्रार्थना कक्ष यानी मेन हॉल पर तीन नाशपाती के आकार में गुंबद बने हुए हैं जो बिल्कुल उल्टे कमल के आकार के जैसे लगते हैं. इन गुंबदों को चारों और चार मंजिला मीनार से घेरा गया है. इसके साथ ही यहां लगे खंबों और दीवारों पर नक्काशियां और शिलालेख भी देखने को मिलते हैं. लखनऊ की जामा मस्जिद छोटा इमामबाड़ा के पश्चिमी दिशा में स्थित है, ऐसे में लोग यहां इमामबाड़ा से पैदल चलकर भी आ सकते हैं.
कैसे पहुंचें: जामा मस्जिद के नजदीक पड़ने वाला हवाई अड्डा अमौसी एयरपोर्ट है, जहां से निजी वाहन करके मस्जिद तक आसानी से पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा मस्जिद का सबसे निकट रेलवे स्टेशन चारबाग रेलवे स्टेशन और बस अड्डा कैसर बाग है, जहां से पर्यटक ऑटो या टैक्सी करके आसानी से लखनऊ तक पहुंच सकते हैं.
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