यूपी के लखनऊ कानपुर प्रयागराज गोरखपुर मेरठ आगरा वाराणसी में चंद्र ग्रहण का समय
- साल 2021 का आखिरी चंद्रग्रहण शुक्रवार, 19 नवंबर 2021 को लग रहा है. भारतीय समयानुसार ये चंद्रग्रहण 19 नवंबर 2021, दिन शुक्रवार को 12 बजकर 48 मिनट से शुरू होगा. जबकि शाम 04 बजकर 47 मिनट पर खत्म हो जाएगा. चंद्रग्रहण भारत के पूर्वोत्तर के राज्य असम और अरुणाचल प्रदेश में ही कुछ समय के लिए दिखाई देगा.

लखनऊ. इस साल का आखिरी चंद्रग्रहण शुक्रवार, 19 नवंबर 2021 को लग रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार ये आंशिक चंद्रग्रहण कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की तिथि को लग रहा है. 580 साल में लगने वाला सबसे लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण है. इससे पहले साल 1440 में इस तरह का ग्रहण लगा था. भारत में इसका प्रभाव दोपहर बाद 2.34 बजे अपने चरम पर होगा.भारत के कई राज्यों में ये चंद्रग्रहण आंशिक रूप से ही दिखेगा. ये चंद्रग्रहण पूरे भारत में नहीं दिखेगा. ये भारत के पूर्वोत्तर के राज्य असम और अरुणाचल प्रदेश में ही कुछ समय के लिए स्पष्ट दिखाई देगा. इसके अलावा विदेश में ये अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ये चंद्र ग्रहण वृषभ राशि और कृत्तिका नक्षत्र में लगेगा.
19 नवंबर को चंद्रग्रहण का समय
भारतीय समय के हिसाब से ये चंद्रग्रहण 19 नवंबर 2021, दिन शुक्रवार को 12 बजकर 48 मिनट से शुरू होगा. जबकि शाम 04 बजकर 47 मिनट पर खत्म हो जाएगा. इस साल सूतक काल भारत में प्रभावी नहीं रहेगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रग्रहण के दौरान किसी भी तरह की शुभ या मांगलिक काम की मनाही है. इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाएंगे. ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने को कहा जाता है.
ज्योतिष मान्यताएं
कुछ ज्योतिषयों का मानना है कि चंद्र ग्रहण आंशिक है तो भी ग्रहण जैसी सावधानियां बरतनीचाहिए. वहीं कुछ का मानना है कि इस बार का ग्रहण उत्तर भारत के लोगों के लिए खास महत्व नहीं रखता. लेकिन आप अपने घर के परंपरा और बुजुर्गों के सलाह के नुसार उपाय कर सकते हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को भी खास सावधानी वर्तनी चाहिए. खासकर ग्रहण के दौरान अपने पास किसी भी प्रकार का धारदार हथियार, चाकू, हथियार नहीं रखना चाहिए. ग्रहण के दौरान ज्यादा से ज्यादा मंत्र जाप करें. ग्रहण के बाद स्नान और दान करिए. इससे ग्रहण का प्रभाव कम होता है. जानकारों के मुताबिक ग्रहण काल में गर्भ में पल रहे बच्चों को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने के लिस अलग-अलग उपाय अपनाने चाहिए. ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी जाती है. बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर के ही निकले. इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर नहीं पड़ता है. ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की नकारात्मक और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है. इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं करना चाहिए.
गर्भवती महिलाएं बरते ये सावधानियां -
- ग्रहण के दौरान में अन्न, जल का सेवन नहीं करना चाहिए.
- ग्रहण के दौरान में शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए.
- ग्रहण के दौरान में कैंची, सूई, चाकू या धारदार चीजों को इस्तेमाल में नहीं लाना चाहिए.
- ग्रहण के दौरान पवित्र मूर्ति को नहीं चुना चाहिए.
- ग्रहण के दौरान स्नान नहीं करना चाहिए ग्रहण खत्म होने के बाद ही स्नान करना चाहिए.
- ग्रहण को खुली आंखों से न देखें. हालांकि चंद्र ग्रहण देखने से आंखों पर कोई बुरा असर नहीं होता.
इन राशियों पर होगा असर
ज्योतिषाचार्यों की माने तो इस साल का दूसरा और अंतिम चंद्रग्रहण वृषभ राशि और कृतिका नक्षत्र में लगेगा. वृषभ, कन्या, वृश्चिक, धनु और मेष राशि के जातकों पर चंद्र ग्रहण का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. इस दौरान इन राशि वालों को वाद विवाद से बचने की सलाह दी जाती है. साथी इस राशि के लोग फालतू के खर्च से भी बचें.
क्या होता है सूतक काल
सूर्य हो या चंद्र ग्रहण दोनों में ग्रहण के पहले की समय अवधि अशुभ माना जाता है, इसे ही सूतक काल कहा जाता है. सूतक काल के दौरान किसी तरह की शुभ या मांगलिक काम नहीं करना चाहिए. लोगों का मानना है कि इस सूतक काल के दौरान शुभ काम शुरू करने पर अशुभ फल मिल सकता है. चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से नौ घंटे पहले शुरू हो जाता है और ग्रहण खत्म होने के सत्रह सूतक काल भी खत्म हो जाता है.
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वैज्ञानिक और खगोलीय मत
विज्ञान चंद्र ग्रहण को एल खगोलीय घटना मानता है. चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है. जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकती है. तब चंद्र ग्रहण होता है. खगोलशास्त्रियों के अनुसार कुल 3 प्रकार के चंद्रग्रहण होते हैं.
पूर्ण चंद्र ग्रहण - जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीध में आ जाते हैं और पृथ्वी की छाया चांद को पूरी तरह से ढक लेती है तब पूर्ण चंद्र ग्रहण का नजारा देखने को मिलता है. इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह से लाल दिखाई देता है. जिसे सुपर ब्लड मून भी कहते हैं.
आंशिक चंद्र ग्रहण - जब चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है और चंद्रमा के कुछ ही भाग पर पृथ्वी की छाया पड़ पाती है. इसे ही आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं.
उपच्छाया चंद्र ग्रहण - उपछाया चंद्र ग्रहण इसे पेनुमब्रल भी कहा जाता है. इस अवस्था में सूर्य और चांद के बीच पृथ्वी उस समय आती है, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में नहीं होते हैं. इस स्थिति में पृथ्वी की बाहरी हिस्से की छाया यानी उपच्छाया ही चंद्रमा पर पड़ती है. जिससे चन्द्रमा की सतह धुंधली पड़ जाती है, इसी को उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है. इस स्थिति में चंद्रमा का रंग और आकार नहीं बदलता है.
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