लखनऊ में स्मारकों का नहीं हो रहा रखरखाव, करोड़ों खर्च करने पर भी बदहाल स्थिति

Ruchi Sharma, Last updated: Wed, 9th Mar 2022, 5:28 PM IST
  • लखनऊ के अंबेडकर पार्क, ईको पार्क जैसे स्मारक और पार्क खुद बदहाली झेल रहे हैं. करोड़ों रुपए की लागत में बनाए गए इन इमारतों का रखरखाव ठीक ढंग से नहीं हो रहा है. कही पत्थर उखड़ रहे हैं तो कही बाउंड्रीवाल टूटी है.
लखनऊ स्मारक

लखनऊ. राजधानी की खूबसूरती और शान बढ़ाने वाले अंबेडकर पार्क, ईको पार्क जैसे स्मारक और पार्क खुद बदहाली झेल रहे हैं. करोड़ों रुपए की लागत में बनाए गए इन इमारतों का रखरखाव ठीक ढंग से नहीं हो रहा है. कही पत्थर उखड़ रहे हैं तो कही बाउंड्रीवाल टूटी है. ये हालत तब है जब इन इमारतों के लिए अच्छा खासा फंड आता है. हर साल भारी भरकम बजट इनके रखरखाव में पर खर्च किया जाता है, इसके बाद भी स्मारकों का बुरा हाल हो रहा है. इसका कारण लालफीताशाही और समिति के प्रबंधकों की लापरवाही है.

अफसरों के मुताबिक, छह करोड़ रुपये हर साल मरम्मत कार्य के लिए खर्च किए जा रहे हैं. इसके बाद भी रखरखाव का नियमित काम नहीं होता. लापरवाही का आलम यह है कि राजकीय निर्माण निगम को भी पत्र भेजकर निरीक्षण करा लिया गया. इसके बाद भी हालत ज्यों की त्यों हैं.

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देख रेख के लिए तैनात है हजारों कर्मचारी

स्मारक संग्रहालयों संस्थाओं पार्क एवं उपवन की देखभाल के लिए हजारों कर्मचारी सिर्फ लखनऊ में तैनात है. कारपस फंड के रूप में सवा तीन सौ करोड़ रुपये से अधिक स्मारक के फंड में है. हर साल स्मारकों के रखरखाव, मरम्मत कार्य के लिए छह करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं, इसके बाद भी कही पत्थर उखड़ रहा है, तो कहीं पत्थरों की टूटफूट ऐसे ही छोड़ दी जाती है.

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शौचालयों की भी हालत खराब

वहीं स्मारकों के अंदर शौचालयों में गंदगी फैली है और फर्श में पत्थर ढंसते जा रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी की सरकार में इन स्मारकों का निर्माण हुआ था. समय समय पर इनके रखरखाव के लिए गठित कमेटी द्वारा निरीक्षण भी किया जाता है और स्मारकों के मरम्मत से जुड़े कार्य भी कराए जाते हैं, लेकिन पिछले कई माह से बाउंड्रीवाल टूटी पड़ी है.

गौरतलब है कि तत्कालीन उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश द्वारा स्मारकों का निरीक्षण किया गया था और अव्यवस्थाओं पर कई कर्मियों पर कार्रवाई भी की थी, इसके बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ.

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