Ravidas Jayanti 2022: रविदास जयंती आज, इन दोहे से मिलेगी प्रेम और भाईचारे की सीख

Pallawi Kumari, Last updated: Wed, 16th Feb 2022, 10:39 AM IST
  • आज माघ पूर्णिमा के दिन संत रविदास जंयती मनाई जाएगी. उन्होंने तमाम पदों की रचनाएं कीं. आज संत रविदास जयंती के मौके जानते हैं उनके दोहे जो ना सिर्फ आपकी नकारात्मक सोच बदल देंगे. बल्कि आपको इससे प्रेम और भाईचारे की सीख भी मिलेगी
रविदास जयंती (फोटो-सोशल मीडिया)

हिंदू पंचाग के अनुसार, हर साल माघ पूर्णिमा के दिन संत रविदास जंयती मानई जाती है. वैसे तो संत रविवाद के जन्म को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है. कुछ का कहना है कि उनका जन्म सन् 1398 ई. में हुआ था. वहीं कुछ जानकार बताते हैं कि संत रविदास का जन्म सन् 1450 ई. में हुआ था. लेकिन कहा जाता है कि माघ पूर्णिमा के दिन ही इनका जन्म हुआ था इसलिए हर इसी दिन इनकी जंयती मनाई जाती है. इस बार रविदास जंयती आज 16 फरवरी 2022 को है. संत रविदास को गुरु रविदास, रैदास व रोहिदास के नाम से भी जाना जाता है.

आज के दिन लोग स्नान आदि कर उनकी अराधना करते हैं और इसके बाद उनके विचारों से अवगत होते हैं. क्योंकि संत रविदास ने सभी को प्रेम और भाईचारे की सीख दी. उन्होंने आडंबर छोड़कर ह्दय की पवित्रता पर जोर दिया. उन्होंने तमाम पदों की रचनाएं कीं, जिनमें 40 शबद पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल किया गया है. उनकी एक कहावत काफी प्रचलित है-‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’.

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आइये जानते हैं संत रविदास के प्रमुख दोहे-

- मन चंगा तो कठौती में गंगा

- माटी को पुतला कैसे नचतु है, देखै देखै सुनै बोलै दउरिओ फिरतू है

- तोही मोही मोही तोही अंतरु कैसा, कनक कटिल जल तरंग जैसे

- जाति-जाति में जाति हैं जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जु़ड़ सके जब तक जाति न        जात

- मन ही पूजा मन ही धूप, मन ही सेऊ सहज स्वरूप

- अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी

- रैदास कहै जाकै हदै, रहे रैन दिन राम सो भगता भगवंत सम, क्रोध न व्यापै काम

- हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस। ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास

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