AL/ML आधारित क्वरलिटी ऐप के लिए SLCM को प्रतिष्ठित यूरोपियन अनुदान

Smart News Team, Last updated: Tue, 13th Jul 2021, 6:10 PM IST
  • ऐग्री टेक्नोलॉजी और वेयरहाउसिंग सॉल्यूशंस कंपनी सोहन लाल कमॉडिटी मैनेजमेंट (SLCM) ने अपने खाद्यान्न एवं दालों की क्वालिटी ऐप्लीकेशन के विकास हेतु टेक्निकल असिस्टेंस फैसिलिटी ऑफ इनकोफिन agRIF फंड (agTAF) और स्मॉलहोल्डर सेफ्टी नैट् अपस्केलिंग प्रोग्राम (SSNUP) से 1,25,901 यूरो (रु. 1.11 करोड़) का अनुदान प्राप्त किया है.
AL/ML आधारित क्वरलिटी ऐप के लिए SLCM को प्रतिष्ठित यूरोपियन अनुदान

नई दिल्ली, 13 जुलाई 2021: नई दिल्ली स्थित ऐग्री टेक्नोलॉजी और वेयरहाउसिंग सॉल्यूशंस कंपनी सोहन लाल कमॉडिटी मैनेजमेंट (SLCM) ने अपने खाद्यान्न एवं दालों की क्वालिटी ऐप्लीकेशन के विकास हेतु टेक्निकल असिस्टेंस फैसिलिटी ऑफ इनकोफिन agRIF फंड (agTAF) और स्मॉलहोल्डर सेफ्टी नैट् अपस्केलिंग प्रोग्राम (SSNUP) से 1,25,901 यूरो (रु. 1.11 करोड़) का अनुदान प्राप्त किया है.

वेयरहाउसिंग कंपनियों की श्रेणी में किसी भारतीय कंपनी द्वारा हासिल किया गया यह सबसे बड़ा और अपनी तरह का अकेला प्रतिष्ठित यूरोपियन तकनीकी सहायता अनुदान है.

इस अनुदान को पाने के लिए और भी कई वैश्विक उम्मीदवार थे. agTAF प्रक्रिया के मुताबिक, इसके लिए तीन स्तरीय चयन प्रक्रिया रखी गई थी जिसमें प्रारंभिक आंकड़े एकत्रीकरण, प्रस्ताव को अंतिम रूप देने हेतु जांच और उच्चस्तरीय विशेषज्ञों वाली समिति द्वारा अनुमोदन शामिल होते हैं.

agTAF समिति द्वारा सभी प्रस्तावों को चार कसौटियों पर परखा गयाः वित्तीय एवं रणनीतिक प्रदर्शन बढ़ाने की क्षमता; सामाजिक, पर्यावरणीय प्रदर्शन और सुशासन; जोखिम का प्रबंधन व उसे कम करना; तथा आपातकालीन सहायता. इनके अंतर्गत यह समीक्षा की गई कि छोटे किसानों को बेहतर सेवाएं और अहम कार्यवाही योग्य सूचनाएं देकर उनकी पैदावार एवं गुणवत्ता बेहतर करने की दिशा में क्या काम किया गया. प्रमाणन प्रक्रिया के अनुपालन तथा निष्पक्ष कारोबार या अन्य ऑर्गेनिक बाजारों तक उनकी पहुंच को सुगम करने के लिए छोटे किसानों की क्षमता में कैसे इज़ाफा किया गया. जोखिम घटाने के लिए प्रबंधन में बेहतरी, जिसमें कृषि-ऋण योजना और अन्य कृषि मूल्य श्रृंखला फाइनेंसिंग मॉडल भी शामिल हों. साथ ही, संकट काल में अथवा अन्य अप्रत्याशित स्थितियों में काम जारी रखने के लिए आपात प्रतिक्रिया पैकेज का प्रावधान.

SSNUP समिति कृषि के महत्व से संबंधित विविध कसौटियों पर प्रोजेक्ट्स का मूल्यांकन करती है जिनमें शामिल होते हैं- मांग, छोटे किसानों से उन्हें जोड़े जाने की मापनीयता, संवहनीय कृषि विधियां, जेंडर संबंधी उपयोगिता और खाद्य सुरक्षा. समिति यह भी जांच करती है की कृषि मूल्य श्रृंखला में संगठन किस प्रकार शामिल है, वित्तीय एवं संस्थागत आत्मनिर्भरता, पर्यावरणीय, सामाजिक व गवर्नेंस (ईएसजी) व्यापारिक अभ्यास, कारोबारी सौदों को गहनता और विस्तार देने हेतु क्षमता व प्रतिबद्धता तथा कृषि जोखिम घटाने व समाधान स्थानांतरित करने के लिए परीक्षण या सुधार हेतु तैयारी.

SLCM को अनुदान हेतु चुने जाने पर SSNUP चयन समिति ने अपने वक्तव्य में कहा, ’’हमारा मानना है की यह बहुत दिलचस्प और अभिनव प्रस्ताव है जो SSNUP की कई प्राथमिकताओं को पूरा करता है. कृषि वेअरहाउस बाजार में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए यदि सूचना की विषमताओं को दूर करने व सौदों की लागत को कम करने में कामयाबी मिली तो न केवल छोटे किसानों को बल्कि समस्त मूल्य श्रृंखला को लाभ होगा और इस प्रकार पूरा ईकोसिस्टम बेहतर बनेगा.’’

विकास की प्रक्रिया में चल रहे प्रोजेक्ट पर भरोसा जताने के लिए एसएलसीएम के सीईओ संदीप सभरवाल ने agTAF और SSNUP को धन्यवाद देते हुए ने कहा, ’’पहले उद्योग 4.0 की शुरुआत कई अप्रत्याशित बदलाव आए और फिर 2019 के आखिर में वैश्विक कारोनावायरस महामारी से इन्हें और गति मिली. एक डिजिटाइज़्ड उपक्रम होने के नाते SLCM ग्रुप में हम कृषि उद्योग में अपने कार्यक्षेत्र में व्यापक स्तर पर डिजिटलीकरण के कार्य में अग्रदूत बनने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. एक और साहसिक कदम आगे बढ़ाते हुए हम इस AI एवं ML-ऐनेबल्ड ऐप को अपने उस लक्ष्य की दिशा में तैनात करेंगे जिसके तहत हम इलेक्ट्रॉनिकली कनेक्टिड कृषि मूल्य श्रृंखला तैयार करना चाहते हैं. 1,25,901 यूरो का यह अनुदान हमारे सतत् प्रयासों की गवाही देता है जिनके जरिए हम अपने स्टेकहोल्डरों व ग्राहकों की आसानी के लिए प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण में लगे हैं तथा फसल कटाई के बाद भारतीय कृषि मूल्य श्रृंखला को आधुनिक बनाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं. हम अपने निवेशकों, कारोबारी भागीदारों व ग्राहकों को धन्यवाद देते हैं की उन्होंने एसएलसीएम के डिजिटल उत्पादों व समाधानों पर अपना भरोसा लगातार बनाए रखा है.’’

एसएलसीएम क्वालिटी ऐपः अपनी तरह का पहला ’मेड इन इंडिया’ समाधान

स्मार्टफोन व टैबलेट पीसी जैसे उपकरणों पर डाउनलोडिंग के लिए उपलब्ध रहने वाला यह ऐप कारोबारी या किसान को इस काबिल बनाएगा की वह गुणवत्ता जांच हेतु फसल के बीजों को स्कैन कर सके. यह ऐप विविध खाद्यान्नों व दालों जैसे गेहूं, चावल, चना, ग्वार, मूंग व तूर की किस्मों को अनेक क्वालिटी पैरामीटरों पर जांचने में सक्षम होगा. प्रयोगशाला परिणामों के मुकाबले मिनटों में 90 प्रतिशत सटीकता के साथ यह ऐप अपना काम करेगा. परिणामों की तुलना बैक-ऐंड सिस्टम पर पहले से दर्ज डाटा के साथ की जाती है जो रियल टाइम बेसिस पर पायथॉन प्रोग्रामिंग के साथ मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करते हुए खुद को नियमित रूप से अपडेट कर सकता है.

इस ऐप के जरिए क्वालिटी कंट्रोल जांच करना उतना ही आसान होगा जितना एक तस्वीर लेना. कृषि कमॉडिटी का फोटो क्लिक करके और ऐप के जरिए इसे दाखिल करके इमेज क्लासिफिकेशन से विश्लेषण होगा और फसल के प्रकार व उसके क्वालिटी पैरामीटर का पता लग जाएगा. बदले में प्रयोक्ता को सैकिंडों में फोटोग्राफिक साक्ष्य के साथ एक क्वालिटी रिपोर्ट मिलेगी जिसमें कमॉडिटी ऊंचाई, लंबाई, ग्रिड, रंग व पैटर्न की जानकारी मिलेगी.

2021 में एसएलसीएम मोबाइल क्वालिटी ऐप इस्तेमाल में आ जाने के बाद जमीनी स्तर पर इसके उपयोग से कमॉडिटी क्वालिटी चैक की विश्वस्तता सुधारने में बहुत मदद मिलेगी. तत्काल हासिल क्वालिटी कंट्रोल परिणामों को सुरक्षित व पारदर्शी परिवेश में प्रसारित करने से बहुत समय बचेगा. अपेक्षा है की भारत में यह ऐप एक गेम चेंजर साबित होगा. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन के आंकड़ों के अनुसार भारत में 70 प्रतिशत आबादी कृषि व उससे संबंधित गतिविधियों पर निर्भर है. यह उन्नत ऐप एसएलसीएम की इन-हाउस विशेषज्ञ टीम द्वारा किए गए गहन शोध का परिणाम है. कंपनी ने अगस्त 2018 में पेटेंट के लिए आवेदन किया था.

दुनिया के दूसरे सबसे बड़े आबादी वाले देश भारत का लक्ष्य अगले दो वर्षों में किसानों की आय को दोगुना करना है. ऐसे में इस ऐप के इस्तेमाल से बड़े पैमाने पर व्यवहार संबंधी व संस्थागत बदलाव आएगा और पूरे भारत के कृषि क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी अपनाए जाने के लाभ दिखाई देने लगेंगे.

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें