कोयला संकट के बीच मेरठ में होगा 40 बिजलीघरों का निर्माण, मिलेंगे ये फायदे
- मेरठ में आने वाले वक्त में पैदा होने वाली बिजली की मांग को देखते हुए 20 बिजलीघर स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. 13 नए बिजलीघर शहरी क्षेत्र के लिए प्रस्तावित किए गए हैं. इस काम को लेकर कवायद भी शुरू कर दी गई है.

मेरठ. कोयला सकंट के बीच शहर में रैपिड रेल प्रोजेक्ट समेत विकास से जुड़ा कार्य जोर पर चल रहा है. कुछ इसी तरह ग्रामीण इलाकों में भी विकास की रफ्तार तेजी से आगे बढ़ रही है. ऐसे में आने वाले 5 सालों में बिजली की मांग ज्यादा हो जाएगी. मांग की पूर्ति करने के लिए पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने नए बिजलीघरों के निर्माण की कवायद शुरू कर दी है. रिवैंप योजना के चलते पूरे जिल में कम से कम 40 बिजलीघर स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. इनमें से 13 नए बिजलीघर शहरी क्षेत्र के लिए प्रस्तावित किए गए हैं.
पिछले दो दिन से पविविनिलि के बिजली अफसर प्रस्तावित विद्युत उपक्रेंद के निर्माण के लिए जिला प्रशासन की मदद से जमीन तलाशने में लगे हुए हैं. इसको लेकर मुख्य अभियंता पारेषण पश्चिम समेत बाकी दूसरे बड़े अधिकारियों के साथ भी बैठक हुई. प्रस्ताव लगभग फाइनल ही है. बिजली अधिकारियों का इसको लेकर कहना है कि लखनऊ मुख्यालय द्वारा तकनीकी परीक्षण और पास होने के बाद ही बिजलीघरों के निर्माण का काम शुरू किया जाएगा. आने वाले 5 साल में शहर-ग्रामीण विकास, बिजली आपूर्ति की जरूरत को ध्यान में रखते हुए नए बिजलीघरों का प्रस्ताव तैयार किया गया है. मुख्य अभियंता संजय आनंद जैन ने कहा कि रिवैंप योजना केंद्र सरकार के अंतर्गत आती है. विकास को देखते हुए ही अगले 5 साल के हिसाब से काम किया जाएगा. नए बिजलीघर, पुराने बिजलीघरों की क्षमता वृद्धि, ट्रांसफॉर्मर क्षमता वृद्धि समेत बहुत सारे काम किए जाएंगे. नए बिजलीघर बनने से मिलेंगे निम्न फायदें.
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- बिजलीघर में फीडर छोटे हो जाएंगे. एलटी लाइने छोटी-छोटी हो जाएंगी. इससे ऊर्जा का नुकसान कम होगा.
- 5 साल में जो लोड़ बढ़ेगा उसके सापेक्ष विद्युत आर्पूति की जाएगी. इससे बिजली संकट भी नहीं पैदा होगा.
- बढ़ती आबादी के अनुसार बढ़ने वाली बिजली की मांगो को आसानी से पूरा किया जा सकेगा.
- ट्रांसफॉर्मरों पर बिजली की मांग का भार ज्यादा नहीं पड़ेगा. इससे ट्रांसफॉर्मर और लाइन फाल्ट कम होंगे.
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