वाराणसी के बाद मेरठ में भी बिजलीकर्मियों का प्रदर्शन, सांसद-MLA को सौंपा ज्ञापन

Smart News Team, Last updated: Sat, 26th Sep 2020, 8:58 PM IST
  • पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के सरकार के फैसले के खिलाफ वाराणसी के बाद मेरठ में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बिजलीकर्मियों विरोध प्रदर्शन किया. बिजली कर्मिचारियों ने निजीकरण के फैसले के खिलाफ सांसद-विधायक काे ज्ञापन सौंपा.
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के सरकार के फैसले के खिलाफ मेरठ में बिजली कर्मिचारियों ने सांसद-विधायक काे ज्ञापन सौंपा.

मेरठ. वाराणसी के बाद मेरठ में भी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को निजीकरण के सरकार के फैसले बिजली कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति बिजली कर्मियों ने सांसद और विधायक के आवास पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने सांसद-विधायक को ज्ञापन सौंपते हए निजीकरण को टालने की मांग की. कर्मचारियों को कहना है कि ये फैसला कर्मचारी और उपभोक्ता के हित में नहीं है.

सरकार ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को निजी हाथों में सौंपने का फैसला लिया है. जिसके विरोध में कर्मचारी संयुक्त संयुक्त संघर्ष समिति का आंदोलन लगातार चल रहा है. विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वान पर वाराणसी के बाद अब मेरठ में भी इस फैसले के खिलाफ बिजलीकर्मी आंदोलन कर रहे हैं. बिजलीकर्मियों ने सांसद-विधायक के आवास पर विरोध प्रदर्शन किया और इस फैसले के खिलाफ ज्ञापन सौंपा.

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बिजली निजीकरण के विरोध में विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने सांसद राजेन्द्र अग्रवाल, विधायक रफीक अंसारी, सत्यवीर त्यागी और और सत्यप्रकाश अग्रवाल को ज्ञापन सौंपा. सभी जनप्रतिनिधियों ने सहयोग का पूरा आश्वासन दिया. उन्होने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तक कर्मचारियों और उपभोक्ताओं की बात को पहुंचाने का भी आश्वासन दिया. सरकार के बिजली निजीकरण के खिलाफ ज्ञापन देने में मेरठ के संयोजक रोहित कुमार, राम आशीष कुशवाहा, दिलमणि थपलियाल, आशुतोष शर्मा, उग्रसैन यादव, विकास वर्मा, विमल अग्रवाल, अनवर अली, देवेश कुमार और अशोक त्यागी मौजूद रहे. 

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आपको बता दें कि पूर्वाचल विद्युत निगम के निजीकरण के खिलाफ वाराणसी में कई दिनों से आंदोलन चल रहा है. संघर्ष समिति ने कहा कि एक दाम में बिजली खरीदकर महंगे रेट पर बेची जा रही है, इससे जनता परेशान है. निजीकरण होने पर बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी होगी. बिजली दरों में बढ़ोत्तरी से दैनिक उपयोग की वस्तुओं के कीमत भी बढ़ेगी. जिससे आम जनता की जेब कटेगी.

 

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