घर में 3 जवान बेटे हैं फिर भी पिता की तेरहवीं में बेटी को पहनाई गई पगड़ी, पढ़िए क्यों टूटी परंपरा

Deepakshi Sharma, Last updated: Tue, 21st Sep 2021, 12:57 PM IST
  • मेरठ के अंदर तीन भाइयों ने अपने पिता की मौत के बाद अपनी बहन को घर का मुखिया बनाया. ऐसा करते हुए उन्होंने प्रगतिशील परंपरा की शुरूआत की गई. उन्होंने अपने पिता की तेरहवीं पर अपनी बहन के सिर पर पगड़ी बांधकर एक शानदार मिसाल पेश की.
भाइयों ने बहन को बनाया घर का मुखिया

मेरठ. मेरठ के अंदर पितृ पक्ष के पहले दिन बेहद ही अनोखी चीज देखने को मिली. प्रगतिशील परंपरा की ऐसी शुरूआत हुई जिसकी चर्चा चारों तरफ हो रही है. तीन भाइयों ने अपने पिता की तेरहवीं पर अपनी बहन के सिर पर पगड़ी बांधकर एक शानदार मिसाल पेश की है. वैसे देखा जाए तो शादी के बाद बेटी का कुल और गोत्र दोनों अलग हो जाते हैं, लेकिन इस परिवार ने पुराने रीति-रिवाजों को साइड में रखते हुए घर की विवाहित बेटी को ही अपने घर का मुखिया बनाया दिया.

जिस बहन के सिर पर पगड़ी बंधी उसका नाम उर्वशी चौधरी है, जोकि मेरठ की जानी-मानी वकील और समाज सेविका है. वही, उनकी छोटी बहने ऐश्वर्या प्रधानचार्य के तौर पर कार्यगत है. तीने छोटे भाई विकास, वरुण और विवेक शिक्षक है. गांव पथौली सरूरपुर और इस वक्त मेरठ में रहने वाले शिक्षक और किसान हरेंद्र सिंह के निधन के बाद मुखिया का चुनाव होने वाला था. ऐसे में उम्मीद थी कि हरेंद्र के तीनों बेटों में से किसी एक को पिता के बाद जिम्मेदारी दी जाएगी. लेकिन उस वक्त सभी लोग हैरान रह गए जब पूरे परिवार ने उर्वशी को घर का मुखिया घोषित कर दिया.

सर्राफा बाजार 21 सितंबर का रेट: लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, मेरठ, आगरा, प्रयागराज, गोरखपुर में सस्ता हुआ सोना-चांदी

इस पूरे मामले को लेकर पारिवारिक मित्र और लेखक ओमवीर तोमर ने बताया कि हरेंद्र सिंह और उनके पिता बेगराज सिंह के बीच अच्छी और गहरी दोस्ती थी. दोनों आपातकाल के वक्त जेल में साथ रहे. हरेंद्र सिंह का परिवार बेटा या फिर बेटी में किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं करता. ऐसा ही पूरे समाज में होना चाहिए.

नशीला पदार्थ खिलाकर विवाहिता से दुष्कर्म, वीडियो बनाकर किया ब्लैकमेल,वसूले 3 लाख

इन सभी चीजों का जिक्र करते हुए घर की नई मुखिया उर्वशी ने बताया कि परिवार में वह सबसे बड़ी हैं. बचपने से ही उनके परिवार ने बेटा या फिर बेटी में किसी भी तरह का कोई फर्क नहीं किया है. उनके पिताजी ने हमेशा बेटी और बेटे दोनों की पढ़ाई-लिखाई पर जोर देने का काम किया था. शादी के बाद उनके पति ने भी उनका साथ दिया. आज परिवार के फैसले में भी पति और उनके ससुराल वालों ने पूरा समर्थन जताया.

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें