मेरठ: रोडवेज से कम होंगी 40 बसें, यातायात पर पड़ेगा गहरा असर, जानें कारण
- मेरठ: उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने एक बड़ा फैसला लेते हुए उन बसों को मेरठ में संचालित 40 बसों का रिटायर करने का फैसला लिया है. इसके तहत एनसीआर में अपनी उम्र पूरी कर चुकी बसों को ऐसे क्षेत्रों में भेज रहा है जहां पर उनका संचालन संभव हो सके.
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मेरठ: उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने एक बड़ा फैसला लेते हुए उन बसों को मेरठ में संचालित 40 बसों का रिटायर करने का फैसला लिया है. इसके तहत एनसीआर में अपनी उम्र पूरी कर चुकी बसों को ऐसे क्षेत्रों में भेज रहा है जहां पर उनका संचालन संभव हो सके. ऐसे में जनपद में बसों का टोटा होने की स्थितियां बन रही हैं. बता दें, शादी-व्याह के सीजन में बसी की कमी का असर भी देखने को मिल रहा है. कुछ ही दिन पहले चार बसों को झांसी में भेजा गया है. ऐसे में यात्रियों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
अधिकारियों के अनुसार दिसंबर महीने के समाप्ति तक 40 बसें मेरठ परिक्षेत्र के बसों के बेड़े से कम हो जाएंगी. एनसीआर में चूंकि एनजीटी के आदेशों अनुपालन में 10 वर्ष से पुराने डीजल वाहनों का चलना प्रतिबंधित है. रोडवेज की उक्त 40 बसें इस दायरे में आ रही हैं. एक राज्य से दूसरे राज्य में बसों का संचालन रोडवेज की सरकारी बसें से ही होती हैं. क्योंकि उन्हीं का परमिट अंतरराज्यीय संचालन के लिए जारी होता है. अनुबंधित बसों का संचालन सिर्फ उत्तर प्रदेश के जनपदों तक ही सीमित है.
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इसको लेकर मेरठ डिपो के प्रभारी देवेंद्र भारद्वाज ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशों के अनुक्रम में दिल्ली समेत सभी प्रमुख जनपदों को ग्रामीण इलाकों से जोड़ा गया है. इसी के तहत मवाना और सरधना से दिल्ली और अन्य जनपदों को बसें संचालित की जा रही हैं. 40 बसें कम होने से ग्रामीण रूटों पर भी बसों का संचालन प्रभावित होगा.
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