पाकिस्तानी घोषित पिता 7 साल से डिटेंशन सेंटर में बंद, रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बेटा-बेटी
- मेरठ के दो भाई-बहन अपने पिता की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे है जिनके पिता पिछले सात साल से एक डिटेंशन सेंटर में बंद हैं. मेरठ की एक अदालत का कहना है कि वे पाकिस्तानी नागरिक है जबकि पाकिस्तान ने भी उन्हें एक नागरिक के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
मेरठ. मेरठ के दो भाई-बहनों ने अपने पिता की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है जिनके पिता पिछले सात साल से एक डिटेंशन सेंटर में बंद हैं. उनके पिता को लेकर एक अदालत का कहना है कि वे पाकिस्तानी नागरिक है जबकि पाकिस्तान ने भी उन्हें एक नागरिक के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया. शीर्ष अदालत का रुख करने गये दोनों भाई-बहनों के अनुसार उनके पिता कमर उर्फ मोहम्मद कामिल का जन्म 1959 में भारत में ही हुआ था लेकिन अदालत इस मामले में पिछले सात सालों से कोई फैसला नहीं ले पाई है.
क्या है पूरी कहानी
मेरठ की अदालत ने वीजा से अधिक समय तक रहने के आरोप में 62 वर्षीय मोहम्मद कमर को 8 अगस्त, 2011 को मेरठ से गिरफ्तार कर तीन साल छह महीने की जेल और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी. 6 फरवरी 2015 को कमर ने अपनी सजा पूरी की लेकिन उसके बाद भी उसे रिहाह न करते हुए नरेला के लमपुर डिटेंशन सेंटर में पाकिस्तान निर्वासन के लिए भेज दिया गया. वहां पाकिस्तान सरकार ने उनके निर्वासन को स्वीकार नहीं किया. जिसके बाद से वे आज तक उसी डिटेंशन सेंटर में बंद हैं.
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क्यों कहा गया पाकिस्तानी नागरिक
शीर्ष अदालत में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया है, वह (कमर) 1967-1968 में लगभग 7-8 साल की उम्र में भारत से पाकिस्तान में अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए वीजा पर गया था. जब उसकी मां की वहां मृत्यु हो गई, और वह अपने रिश्तेदारों की देखभाल में ही पाकिस्तान में रहने लगा. 1989-1990 के आसपास कलर पाकिस्तानी पासपोर्ट पर भारत वापस आए और यूपी के मेरठ में एक भारतीय नागरिक शहनाज बेगम से शादी कर ली. किसी बाद उनके 5 बच्चे हुए. याचिका अनुसार कमर के पास भारत से पाकिस्तान जाने और वहां मां की मृत्यु होने के कोई दस्वावेज मौजूद नहीं हैं.
कोर्ट ने क्या कहा
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि अगर कमर को उचित शर्तों पर रिहा किया जाता है, तो वह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करेगा क्योंकि उसकी पत्नी और पांची बच्चे भारतीय नागरिक हैं. साथ ही पीठ ने कहा कि केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा और इसे 28 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.
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