मेरठ रैपिड रेल: व्यापारियों ने कैंट बोर्ड को 44 लाख तक आय बढ़ाने के सुझाए तरीके
- मेरठ में रैपिड रेल के निर्माण कार्य को लेकर व्यापारियों ने कैंट बोर्ड को आय बढ़ाने का शानदार फॉर्मूला सुझाया है. व्यापारियों का कहना है कि अगर कैंट बोर्ड की खाली जगहों पर दुकानें बनाकर व्यापारियों को आवंटित कर दिया जाता है तो इससे कैंट बोर्ड की सालाना आय 44 लाख रुपये तक हो सकती है.
मेरठ. मेरठ में रैपिड रेल के निर्माण कार्य को लेकर सोमवार को व्यापारियों का एक दल कैंट बोर्ड के सीईओ और उपाध्यक्ष से मिला. इस मीटिंग में व्यापारियों ने कैंट बोर्ड की आय बढ़ाने का शानदार फॉर्मूला सुझाया है. व्यापारियों के ने बताया कि कैंट बोर्ड की खाली जगहों पर दुकानें बनाकर व्यापारियों को आवंटित कर दिया जाता है तो कैंट बोर्ड की सालाना आय 44 लाख रुपये तक बढ़ सकती है.
दिल्ली रोड से गुजरने वाली प्रस्तावित रैपिड रेल के निर्माण लेकर जो खाका तैयार किया गया है, उसमें कई व्यापारियों की दुकानें आ रही है. मिली जानकारी के अनुसार लालकुर्ती पैठ एरिया स्थित गड्ढा मार्केट की 64 दुकानें और गंगा मोटर कमेटी के परिसर में स्थित अशोका मार्केट की 17 दुकानें इस प्रस्तावित रैपिड रेल निर्माण के दायरे में आ रही है. एनसीआरटीसी के अधिकारियों ने इन दुकानों पर लाल निशान लगाए हैं. इसके बाद दुकानदारों में अफरातफरी जैसी स्थिति हो गई है.
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व्यापारियों ने कैंट बोर्ड के सीईओ और उपाध्यक्ष संग बैठक कर कैंट बोर्ड को आय बढ़ाने का फॉर्मूला बताया. व्यापारियों का कहना है कि कैंट बोर्ड के पास ऐसी कई जगह हैं, जहां दुकानदारों को जगह उपलब्ध कराई जा सकती है. व्यापारियों ने बताया कि कैंट बोर्ड की इन महत्वपूर्ण स्थलों से कोई खास कमाई नहीं होती है. अगर व्यापारियों को इन जगहों पर दुकान बनाकर दे दिया जाता है तो कैंट बोर्ड की आय में बढ़ोतरी होगी.
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पैंठ व्यापारी गढ्ढा एसोसिएशन के मनीष अग्रवाल का कहना है कि 50 दुकानों से अभी कैंट बोर्ड को 60 हजार रुपये मासिक की आय हो रही है. नए नियमों के तहत अगर कैंट बोर्ड दूसरी जगह पर दुकानें बनाकर आवंटित करता है तो किराया छह गुना हो जाएगा. इससे कैंट बोर्ड की प्रति माह आय साढ़े तीन लाख रुपये होगी.
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मनीष अग्रवाल ने मीटिंग में बताया कि बंगला नंबर 180 पर दुकानें बनाई सकती हैं. फिलहाल यहां पर विवाह मंडप है जिससे कैंट बोर्ड की आमदनी प्रति साल कुछ लाख रुपये ही हो पाती है. अगर यहां पर दुकानें बनाकर व्यापारियों को आवंटित कर दिया जाता है तो कैंट बोर्ड की सालाना आय 44 लाख रुपये तक हो जाएगी.
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