हथियार सप्लायरों की तलाश में NIA की मेरठ में छापेमारी, कैश, कागजात और मोबाइल सिम किए जब्त

Prince Sonker, Last updated: Thu, 7th Oct 2021, 3:13 PM IST
  • रंगदारी और खलिस्तानियों को अवैध हथियार सप्लाई करने के आरोप में एनआइए की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मेरठ के राधना गांव में दो लोगों के घर छापेमारी की है. टीम ने आरोपियों के घर से कैश, डॉक्यूमेंट और मोबाइल सिम जब्त किए हैं.
 (फाइल फोटो)

मेरठ. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की टीम ने मंगलवार तड़के मेरठ के राधना गांव में दो लोगों की तलाश में छापेमारी की जिन पर रंगदारी रैकेट के लिए अवैध हथियार सप्लाई करने का आरोप था. अवैध हथियार सप्लायरों की तलाश में टीम ने दो घरों में लगभग पांच धंटे तक तलाशी अभियान चलाया. इस दौरान टीम ने कुछ नकदी, कागजात और मोबाइल सिम जब्त किए. महिला पुलिस ने घर की महिलाओं से जलीस और खिलाफत के बारे जानकारी ली, दोनों ही घर पर नहीं मिले. एनआइए की टीम ने बुधवार को दोनों संदिग्धों के परिवारों को नोटिस सौंपा और उन्हें पूछताछ के लिए चंडीगढ़ स्थित उनके कार्यालय में पेश होने को कहा है. एनआइए की कार्रवाई से राधना गांव में हड़कंप मच गया.

बता दें कि बीते छह सालों से मेरठ एनआइए के निशाने पर है. छह साल से यहां टीम दबिश देकर खालिस्तान आतंकियों को हथियार मुहैया कराने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है. जानकारी के अनुसार मंगलवार को सुबह एनआइए ने जलीस और खिलाफत के घर मे दबिश डाली. दोनों के घर पर छापेमारी के लिए एनआइए की टीम आठ गाड़ियों से पहुंची. फोर्स ने दोनों के घरों पर एक साथ छापा मारा. इस दौरान टीम ने घर का मेन गेट बंद करपरिजनों को बाहर नहीं जाने दिया. कार्रवाई के दौरान टीम ने घर में हथियार रखे होने के बारे में आरोपियों के परिजनों से पूछताछ की. परिजनों के अनुसार एनआइए की टीम ने सेफ में रखे एक लाख तीस हजार रुपए कब्जे में ले लिए. बाद में दस हजार रुपए वापस कर बाकी जब्त कर लिए. पूरे तलाशी अभियान में टीम ने घरों से कई मोबाइल सिम व कागजात भी जब्त किए.

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दरअसल जबरन वसूली रैकेट में पहला मामला इसी साल 22 मई को मोगा में दर्ज किया गया था. अलगाववादियों के नाम सामने आने के बाद 10 जून को एनआइए ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी. जुलाई में उसने मेरठ से एक कथित हथियार तस्कर को गिरफ्तार किया था. एनआईए ने तब एक बयान जारी करते हुए बताया था कि आरोपी गगनदीप सिंह, आरोपी प्रदीप सिंह सरकार के द्वारा नामित आतंकवादी हैं. ये खेसारी टाइगर फोर्स (KTF) का प्रमुख व हरदीप सिंह के करीबी हैं. आरोपी हथियारों की तस्करी में शामिल है और अर्शदीप सिंह के कहने पर ही खालिस्तानी आतंकियों को हथियारों की सप्लाई की गई थी.

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