मेरठ के दो सौ साल से ज्यादा पुराने नौ पेड़ विरासत सूची में शामिल

Smart News Team, Last updated: Sun, 14th Mar 2021, 2:09 PM IST
  • राज्य की विरासत को जिंदा रखने के लिए पूरे प्रदेश से तकरीबन 943 विरासत पेड़ों की सूची जारी की गई है. मेरठ से ही नौ ऐसे पेड़ शामिल किए गए हैं जो दो सौ साल से अधिक पुराने हैं.
मेरठ के दो सौ साल से ज्यादा पुराने नौ पेड़ विरासत सूची में शामिल

मेरठ। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की विरासत को जिंदा रखने के लिए 100 साल से अधिक उम्र के पेड़ों की सूची तैयार करने का आदेश दिया था. अब पूरे प्रदेश से तकरीबन 943 विरासत पेड़ों की सूची जारी की गई है जिसमें मेरठ से ही नौ ऐसे पेड़ शामिल किए गए हैं जो दो सौ साल से अधिक पुराने हैं. यह नौ पेड़ हस्तिनापुर, परीक्षितगढ़, सरधना क्षेत्र में हैं और इनमें बरगद, कदंब और पिलखन के पेड़ शामिल हैं. लोगों का मानना है कि प्राचीन वटवृक्ष के संरक्षित घोषित होने पर लोगों की पर्यावरण के प्रति सोच में भी बदलाव आएगा.

उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश के अनुसार वन विभाग ने पूरे जिले के पुराने पेड़ों की सर्वे रिर्पोट शासन को भेजी थी. इस रिपोर्ट में सौ साल पुराने नौ पेड़ों को विरासत पेड़ घोषित किया गया है. पेड़ों को विरासत घोषित करने का आधार पेड़ों का सौ साल से अधिक पुराना होना है. इन पेड़ों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए बुजुर्गों से बातचीत और अन्य वैज्ञानिक विधि अपनानी पड़ी.

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विरासत के लिए पेड़ों में परीक्षितगढ़ के श्रंगऋषि आश्रम नगर पंचायत परिसर के बरगद, गांधारी तालाब नगर पंचायत परिसर में कदंब, सरधना-दौराला मार्ग पर बरगद और पिलखन, हस्तिनापुर में प्राचीन पांडेश्वर महादेव मंदिर परिसर में बरगद के पेड़ को विरासत पेड़ के रूप में चिहिन्त किया गया और सूची में शामिल किया गया. पर्यावरण के संरक्षण के लिए कार्य करने वाली काव्यांजलि संस्था अध्यक्षा प्रीति त्यागी, निगहत सैय्यद, पर्यावरणविद् गिरीश शुक्ला, शिक्षिका एवं समाजसेविका डॉ. दिशा दिनेश, पर्यावरणविद् डॉ. यशवंत राय, ग्रीन केयर सोसायटी अध्यक्ष विजय पंडित, डा. विशाल शर्मा, प्रशांत कौशिक ने सरकार के इस कदम पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि प्राचीन वृक्ष संरक्षित घोषित होने पर पर्यावरण के प्रति लोगों की सोच बदलेगी.

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जिला वन अधिकारी राजेश कुमार ने पेड़ों को विरासत बनाए जाने पर कहा कि जिले से नौ स्थानों पर लगे वृक्षों को चिहिन्त कर प्रदेश सरकार को भेजा गया था. वन क्षेत्र और गैर वन क्षेत्र में ऐतिहासिक, धार्मिक, सामाजिक महत्व वाले नौ पेड़ों को विरासत वृक्ष की सूची में शामिल किया है. इनकी जैव विविधता को लेकर प्रदेश स्तर पर प्रकाशित होने वाली पुस्तिका में भी स्थान मिलेगा.

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