जन्माष्टमी पर प्रतिमा स्थापित नहीं होने से सैकड़ों मूर्तिकार हुए बेरोजगार

Smart News Team, Last updated: Tue, 11th Aug 2020, 9:15 AM IST
  • विभिन्न त्योहारों पर प्रतिमाओं के स्थापित नहीं होने से सैकड़ों मूर्तिकार प्रभावित मूर्तिकारों के सामने खड़ा हुआ रोजी-रोटी का संकट कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा पर स्थापित होती थी प्रतिमाएं
श्री कृष्ण 

मेरठ। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर प्रतिमाओं के स्थापित नहीं होने से सैकड़ों मूर्तिकार बेरोजगार हो गए हैं. इन मूर्तिकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. परिवार चलाना भी इनके लिए मुश्किल हो रहा है.

मूर्तिकार प्रवेश चटर्जी ने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर हर मूर्तिकार के पास औसतन 3 से 5 जगहों की झांकियों को सजाने का जिम्मा मिलता था.एक झांकी औसतन 20 से 40 हजार रुपये में सजती थी. इनमें कुछ झांकियां छोटी होती थी जबकि कुछ झांकियां बेहद ही भव्य होती थी. बड़ी झांकियों को सजाने की लागत लगभग डेढ़ से दो लाख रुपये भी होती थी.

ऐसी झांकियों में प्रायः भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित प्रतिमाएं बनाई जाती थी. इसके बाद उन्हें इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप प्रदान किया जाता था. साथ ही साउंड इफेक्ट भी डाले जाते थे. यह सब करने में लगभग 2 से 3 माह तक का समय लगता था. इन्हें बनाने के लिए लगभग 4 महीने से ही तैयारी शुरू कर दी जाती थी लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते झांकियों की सजावट पूरी तरह से बंद है. मूर्तिकारों के लिए इस बार झांकियों को सजाने की कोई व्यवस्था नहीं है. कुछ मंदिरों में फूल और लाइटों द्वारा सजावट की जा रही है. साथ ही संपूर्ण लाकडाउन होने के चलते ना तो मूर्तियां बन सकती हैं और ना ही सजाने के लिए सरकार द्वारा कोई गाइडलाइन जारी की गई है.

ऐसे में मूर्तिकला का व्यवसाय पूरी तरह चौपट हो गया है. व्यवसाय चौपट हो जाने के चलते परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया है.बच्चों की फीस, घर के रोजमर्रा के सामानों का खर्च, दवा का खर्च, राशन, गैस आदि का खर्च सबकी जिम्मेदारी एक ही कंधों पर है. ऐसे में मूर्तिकार कर्ज के बोझ में दबे चले जा रहे हैं. जो भी जमा पूंजी थी. वह लॉकडाउन में खर्च हो चुकी है. कोरोना महामारी ने मूर्तिकारों की कमर तोड़ दी है. मूर्तिकार जीने खाने को मुहाल है.

इन त्योहारों पर सजती थी झांकियां

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के लेखक दीपावली तक कई त्यौहार आते थे जिनमें श्रद्धालु प्रतिमाएं स्थापित करते थे.

इस तरह मूर्तिकारों का 6 महीने का व्यवसाय होता था जिसमें वह वर्ष भर जीवन यापन करते थे. इनमें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, छठ पूजा, गणेश पूजा, दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा, विश्वकर्मा पूजा आदि त्यौहार शामिल है. इन त्योहारों पर श्रद्धालु प्रतिमा स्थापित करते थे.

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