मेरठ : 50 साल से एमएलसी रहे ओमप्रकाश शर्मा ने कहा- षड़यंत्र के तहत हराया
- 50 साल से एमएलसी रहे ओमप्रकाश को इसबार हार का सामना करना पड़ा. शर्मा की लोकप्रियता 90 के दशक में इतनी थी कि सुबह आठ बजे मतगणना शुरू हुई और साढ़े 10 बजे तक उन्हें प्रथम वरीयता के 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिल जाते थे.
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मेरठ: उतर प्रदेश शिक्षक राजनीति का 50 साल से नेतृत्व कर रहे शिक्षक नेता व निवर्तमान एमएलसी ओमप्रकाश शर्मा एक बड़ा नाम हैं. 50 साल तक ओमप्रकाश शर्मा के इर्द-गिर्द ही शिक्षकों, कर्मचारियों की राजनीति धूमती रही. ओम प्रकाश शर्मा ने विधान परिषद का पहला चुनाव 1970 में जीता था. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. अंतिम चुनाव उन्होंने 2014 में जीता था. शर्मा की लोकप्रियता 90 के दशक में इतनी थी कि सुबह आठ बजे मतगणना शुरू हुई और साढ़े 10 बजे तक उन्हें प्रथम वरीयता के 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिल जाते थे. ‘हिन्दुस्तान ने शनिवार को उनसे विशेष बातचीत की. उन्होंने साफ कहा कि हार से शिक्षकों के आंदोलन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. शिक्षक हित में आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि उन्हें षडयंत्र के साथ सरकार ने हराया है.
सवाल : एमएलसी चुनाव में क्यों हारे?
जवाब: शिक्षक समुदाय ने मुझे समर्थन दिया। सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से षडयंत्र कर हराने का काम किया. सारे अवैध साधनों का प्रयोग किया. फर्जी वोटरों से मतदान कराया गया.
सवाल: तीन कौन सी चूक रहीं?
जवाब : चूक नहीं षडयंत्र. पहला-फर्जी वोटर अधिक बनाए गए. दूसरा-कम मतदान. तीसरा-जो शिक्षक भी नहीं हैं उनके द्वारा मतदान करना.
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सवाल: कोरोना का कितना असर रहा
जवाब: कोरोना का भी असर हो सकता है. कुछ मतदान कम हुआ.
सवाल: 48 साल का कोई बड़ा काम जो आपने किया हो
जवाब: शिक्षकों की दशा सुधारने का काम. 1968-69 में शिक्षकों का बड़ा आंदोलन हुआ था. समय पर वेतन मिले, इसके लिए आंदोलन. आंदोलन के बाद पहली बार शिक्षकों के वेतन की जिम्मेदारी सरकार ने ली। वेतन दिलाना सुनिश्चित कराया। प्रदेश में शिक्षकों का सबसे बड़ा आंदोलन कर मांगें पूरी कराई.
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सवाल: अब शर्मा गुट की आगे की रणनीति
जवब: आपको क्यों बताऊं? सड़कों पर आवाज उठेगी. विधान परिषद नहीं तो क्या हुआ, सड़कों पर आंदोलन होगा. जब तक सांस रहेगी तब शिक्षक हित में आंदोलन जारी रहेगा. आंदोलन नहीं हारा है. शिक्षक आंदोलन मजबूत रहेगा. शिक्षकों के आंदोलन से सरकार भयभीत है, लेकिन शिक्षकों की आवाज बंद नहीं हो सकती। शिक्षक हित हमेशा था और रहेगा.
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