लग्जरी होगी दिल्ली से मेरठ चलने जा रही देश की पहली रैपिड रेल, जानिए खूबियां
- ट्रेन 180 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलेगी.एनसीआरटीसी ने जानकारी दी है कि यह आधुनिकता सुविधाओं से भरी ट्रेन है और पूरी तरह से वातानुकूलित होगी. रैपिड रेल में बिजनेस कोच के साथ साथ महिलाओं के लिए भी अलग कोच की सुविधा भी की गई है.
मेरठ. दिल्ली से मेरठ के बीच चलने के लिए पहली रैपिड रेल का डिजाइन तैयार हो गया है. हाल ही में इसके फर्स्टलुक को जारी कर दिया गया है और जिसमें यात्रियों की सुरक्षा, आराम और सुविधा का का खासा ध्यान रखा गया है. इसकी स्पेशल डिजाइनिंग के चलते इसमे यात्री खड़े होकर आसानी से सफर कर सकते हैं. कोच में दोनों तरफ की सीटों के बीच में पर्याप्त जगह होगी जिसमें सामान रखने के लिए रैक बनाए जाएंगे. यात्रियों की सुविधा के लिए प्रत्येक कोच में मोबाइल और लैपटॉप चार्जिंग सॉकेट बनाए जाएंगे और ट्रेन में वाईफाई की सुविधा भी यात्रियों को मिलेगी. यह ट्रेन 180 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलेगी.
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केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने इसके पहले लुक का अनावरण किया. रैपिड रेल में बिजनेस कोच के साथ-साथ महिलाओं के लिए भी अलग कोच की सुविधा भी की गई है. ऊर्जा की बचत के लिए कोच के दरवाजों स्वचालित होंगे जो जरूरत पड़ने पर ही खुलेंगे. एनसीआरटीसी ने जानकारी दी है कि यह आधुनिकता सुविधाओं से भरी ट्रेन है और पूरी तरह से वातानुकूलित होगी. बताया जा रहा है की इसके डिजाइन की प्रेरणा लोटस टेंपल से प्रेरणा ली गई है. लोटस टेंपल के डिज़ाइन की खूबी है कि वो प्रकाश और वायु के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखता है.
इन ट्रेनों में ये सुविधाएं होगी
- इस ट्रेनों में 272 ट्रांसवर्स बैठने की व्यवस्था होगी जो कि यात्रियों को सफर में सुविधा प्रदान करेगा.
- खड़े होकर सफर करने वाले यात्रियों के लिए अधिक जगह की सुविधा के साथ सामान रखने का रैक रखने की सुविधा होगी. बैठे यात्रियों ने लिए पैर रखने की अधिक सुविधा रहेगी.
- मोबाइल और लैपटॉप चार्जिंग के लिए सॉकेट और वाईफाई की सुविधा भी यात्री को मिलेगी.
- यह ट्रेन इंफोटेनमेंट डिस्प्ले और संचार सुविधाओं भी होंगी.
- कोच के दरवाजे स्वचालित होंगे और किसी अन्य कोच के दरवाजे से अधिक चौड़े होंगे जो घर्षण और शोर को कम करने का काम करेंगे.
- इसके आलावा कुछ अन्य सुविधाऐं जैसे सीसीटीवी, फायरएंड स्मोक डिटेक्टर, अग्निशामक यंत्र और डोर इंडिकेटर भी होंगी.
- बुजुर्गों और दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए ट्रेन के दरवाजों के पास व्हीलचेयर के लिए जगह भी होगी.
- ट्रेन में पुश बटन भी होगाजो जरूरत होने पर दरवाजों को खोलने के काम आएगा.
- ऊर्जा की बचत के लिए और यात्रियों की सुविधा के लिए किसी भी स्टेशन पर ट्रेन के सभी दरवाजों को खोलने की जरूरत नहीं होगी. वही दरवाजें खुलेंगे जिसमें यात्री को चढ़ना हो या उतरना हो.
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