Diwali 2021: दिवाली की रात क्यों खेला जाता है जुआ, क्या है इसकी पौराणिक कथा
- आज 4 नवंबर को दिवाली 2021 पर दीपों का त्योहार मनाया जाएगा. हर्षोल्लास के सात मनाए जाने वाले इस पर्व को मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का सबसे शुभ दिन माना जाता है. लेकिन कई लोग इस शुभ दिन जुआ खेलते हैं. आइये जानते हैं कि दिवाली के दिन जुआ खेलने की परंपरा कैसे शुरू हुई और क्यों इस दिन जुआ खेला जाता है.

diwali 2021: आज देशभर में दिवाली 2021 का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. कहा जाता है कि इस माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की खास पूजा कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है. दिवाली के माता लक्ष्मी भक्तों के घऱ भी आती है. इसलिए माता की आगमन की तैयारी में लोग इस दिन घर को खूब सजाते हैं चारों ओर दीपों से रौशन कर देते हैं. दिवाली की रात धन प्राप्ति के लिए भी जाना जाता है. इस दिन लोग धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करने के साथ ही धन प्राप्ति के तमाम तरह के उपाय और टोटके करते हैं. इस खास मौके पर जुआ खेलने की बात भी आम है.
हम सालों से अपने पूर्वजों को भी दिवाली की रात जुआ खेलते हुए देखते आए हैं. लेकिन सवाल उठता है कि क्यों दिवाली की रात जुआ खेली जाती है और इश परंपरा की शुरुआत कैसे हुई. जुआ खेलना बुरी बात होती है और हम अक्सर अपने पिरवार में यह बात कहते हुए सुनते हैं जुआ आदि से दूर रहना चाहिए फिर क्यों दिवाली के शुभ दिन पर जुआ खेला जाता है. आइये जानते हैं इस परंपरा के इतिहास के बारे में.
पौराणिक कथाओं के अनुसार दिवाली की रात भगवान शिव और माता पार्वती आपस में जुआ खेलते थे. हालांकि ये जुआ परस्पर संबंधों में मजबूती और मनोरंजन के लिए खेला जाता था. हालांकि इस बात का शास्त्रों मे जिक्र नहीं किया गया है. परिवार में परस्पर प्रेम और संबंधों को मजबूत करने के लिए दीवाली के दिन जुआ खेला जाता है, लेकिन आज यह एक सामाजिक बुराई बन गया क्योंकि इसे पैसा लगाकर इसको खेला जाने लगा. लेकिन दीवाली के दिन जुए में पैसे लगाकर खेलने से मां लक्ष्मी भी रूठ जाती हैं और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए इससे बचना चाहिए. आप केवल मनोरंजन के लिए इस दिन आपस में ताश या जुआ खेल सकते हैं.
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