Sankashti Chaturthi पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, विघ्नहर्ता गणेश की कृपा से दूर होंगे संकट

Pallawi Kumari, Last updated: Sat, 19th Feb 2022, 4:51 PM IST
  • द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रविवार 20 फरवरी को रखा जाएगा. इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है. बता दें कि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर पूजा के साथ ही कथा पाठ का भी खास महत्व होता है. संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा के बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है.
द्विजप्रिय गणेश संकष्टी चतुर्थी (फोटो-लाइव हिन्दुस्तान)

वैसे हो तो हर माह की चतुर्थी को भगवान श्री गणेश की पूजा के लिए खास माना गया है. लेकिन फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस बार 20 फरवरी, रविवार को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है. इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा अर्चना, आरती और व्रत रखने का विधान है. साथ ही इस दिन रात्रि के समय चंद्रमा की पूजा भी की जाती है. चंद्रमा की पूजा के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है.

आपको बता दें कि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के लिए कथा पाठ का विशेष महत्व होता है. इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. कहा जाता है कि इससे व्यक्ति को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है. आइये जानते हैं द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा.

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संकष्टी चतुर्थी व्रत ​कथा-

संकष्टी चतुर्थी की पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब सारे देवी-देवता संकटों में घिरे हुए थे. समाधान के लिए वे भगवान शिव के पास आए थे. तब गणेश और कार्तिकेय ने कहा कि वे इसका समाधान कर सकते हैं. ये सुन शंकर जी दुविधा में पड़ गए. उन्होंने कहा कि जो भी इस पृथ्वी का चक्कर लगाकर सबसे पहले आएगा, वह देवताओं के संकट के समाधान के लिए जाएगा. भगवान कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल पड़े. गणेश जी ने चतुराई दिखाई और दोनों हाथ जोड़कर भगवान शिव और माता पार्वती की 7 बार परिक्रमा कर दी.

भगवान कार्तिकेय जब पृथ्वी की परिक्रमा करके आए, तो गणेश को वहां पर बैठे हुए देखे वे खुद को विजेता समझने लगे. तब महादेव ने गणेश जी से पूछा कि उन्होंने पृथ्वी की परिक्रमा क्यों नहीं की? गणेश जी ने कहा कि माता-पिता के चरणों में ही पूरा संसार है. इस कारण मैंने अपने माता-पिता की परिक्रमा कर दी. गणेश जी के इस उत्तर से भगवान शिव और माता पार्वती बहु​त प्रसन्न हुए और उन्हें देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी. साथ ही भगवान शिव ने ये आशीर्वाद दिया कि जो भी चतुर्थी के दिन गणेश पूजन करेगा और चंद्रमा को जल अर्पित करेगा, उसके सभी दुख दूर हो जाएंगे.

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