मेरठ में मुस्लिम महिलाओं ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मना कर पेश की गंगा-जमुनी तहजीब
- मुस्लिम राष्ट्रीय मंच महिला प्रकोष्ठ ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मनाया श्रीकृष्ण जन्माष्टमी. मुस्लिम महिलाओं ने 3 वर्षीय समीरा खान को कान्हा का वेश धारण कराया. प्रेम के प्रतीक के रूप में देखे जाते हैं भगवान श्री कृष्ण और राधा.

मेरठ- गंगा-जमुनी तहजीब का मिसाल पेश करते हुए मंगलवार को मुस्लिम महिलाओं ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी त्यौहार धूमधाम से मनाया. इस दौरान महिलाओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ख्याल रखा. साथ ही सभी ने मास्क लगाकर सरकार की गाइडलाइंस को फालो किया. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच महिला प्रकोष्ठ ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए छीपी टैंक पर शाहीन परवेज़ के आवास पर जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया. इस दौरान मुस्लिम महिलाओं ने तीन वर्षीय सबीरा खान को कान्हा के स्वरूप में सजाकर उनकी पूजा व आरती की.
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय संयोजिका शाहीन परवेज और अन्य कार्यकर्ताओं ने सबीरा खान को श्रीकृष्ण के बाल्यावस्था का रूप देकर सजाया. श्रीकृष्ण के बाल्यावस्था स्वरूप की कई झांकियां भी प्रस्तुत की गयी.
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय संयोजिका शाहीन परवेज़ ने इस अवसर पर कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हमारे भारतीय संस्कृति के पर्व में से एक बहुत सुंदर पर्व है. इस दिन श्रीकृष्ण की तरह-तरह की झांकियां सजाई जाती हैं. हर वर्ष इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार यह त्यौहार बेहद सादगी के साथ मनाया जा रहा है.
मुस्लिम समाज द्वारा कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हुए समाज में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम की जा रही है. इससे समाज में राष्ट्रीय एकता की भावना पैदा होती है. देखा जाए तो भगवान श्रीकृष्ण प्रेम के प्रतीक है. राधा-कृष्ण का प्रेम एक पूजा है. प्रेम एक आलौकिक एहसास है. एक उपासना है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच महिला प्रकोष्ठ पिछले वर्ष से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व को मनाता आ रहा है. इस अवसर पर रेशमा, फरजाना, परी व फरहा आदि मौजूद रही.
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