जानकी जयंती पर करें इस विधि से माता सीता की पूजा, वैवाहिक जीवन रहेगा सुखमय

Pallawi Kumari, Last updated: Wed, 23rd Feb 2022, 5:10 PM IST
  • 24 फरवरी 2022 को सीता जयंती या जानकी जयंती का व्रत रखा जाएगा. इस दिन माता सीता की पूजा अर्चना की जाती है. खासकर विवाहित महिलाएं इस दिन पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखकर माता सीता की पूजा करती हैं. कहा जाता है कि इस दिन माता सीता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है.
सीता जयंती (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता जयंती मनाई जाती है. जानकी जयंती पर माता सीता की पूजा अर्चना कर पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है. वैवाहिक महिलाओं के साथ ही इस दिन कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती है. ऐसा करने से उन्हें मनचाहा वर मिलता है और विवाह में आ रही अड़चने दूर होती है. सीता जंयती को जानकी जयंती या सीताष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन माता सीता राजा जनक के सामने प्रकट हुई थीं. इस बार सीता जयंती का त्योहार गुरुवार 24 फरवरी 2022 को होगा.

सुंदर जोड़े को हर कोई राम सीता की जोड़ी का उदाहरण देता है. काह जाता है माता सीता के बिना रामजी भी अधूरे हैं. यही कारण है कि भगवान राम से पहले सीता माता का नाम आता है. हर शादीशुदा महिला को माता सीता की पूजा जरूर करनी चाहिए. इसलिए गुरुवार को जानकी जयंती के दिन महिलाएं जरूर पूजा करें. 

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घर पर ऐसे करें पूजा-सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. इस दिन माता सीता के साथ भगवान राम की भी पूजा करें. राम-सीता को पीले व्सत्र पहनाएं और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें. फल फूल आदि चढ़ाने के बाद दीप जलाएं और माता जानकी की जन्म कथा पढ़ें. राम सीता के मंत्रों का जाप करना भी इस दिन फलदायी होता है. आखिर में आरती करें.

माता सीता मिथिला के राजा जनक की पुत्री थी. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब मिथिला में सूखा पड़ा तो ऋषि मुनियों ने राजा जनक को यज्ञ करवाने की सलाह दी. इसके बाद जब राजा जनक ने हल चलाया. हल चलाते हुए किसी सख्त चीज से टकरा गया. इसमें एक कठोर संदूक में एक सुंदर सी कन्या खेल रही थी. राजा को कोई संतान नहीं थी वो इस कन्या को अपने महल में ले आए और अपनी पुत्री के रूप में सीता माता का लालन पालन किया. बाद में उनका विवाह भगवान राम से हुआ.

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