भगवान शिव को करना है प्रसन्न तो सोमवार को करें शिव मानस स्त्रोत और इन मंत्रों का जाप
- सोमवार का दिन शिव जी को समर्पित होता है. हिंदू धर्म में सोमवार के दिन का बहुत ही महत्व होता है. ऐसे में इस दिन जो भी लोग विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा- अर्चना करते हैं, उनपर भोलेनाथ की कृपा बरसती है.

हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि अगर सोमवार के दिन भगवान शिव की उपासना की जाए तो सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. कई लोग तो सोमवार का व्रत भी रखते हैं. सुबह स्नान-आदि करके सा-सुथरे कपड़े पहनकर सोमवार के दिन अगर आप मंदिर में जल चढ़ाने जाते हैं, तो सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. अगर आप घर पर ही भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं, तो उसके लिए आपको घर के मंदिर में गंगा जल छिड़क देना चाहिए और फिर पूजा के आसन पर बैठ पूजा करना चाहिए. मंदिर में दीप जलाएं और उसके बाद शिव स्त्रोत और मंत्र का जाप करना ना भूलें. अगर आप भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इन मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए.
शिव मानस पूजा स्त्रोत
रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं।
नाना रत्न विभूषितम् मृग मदामोदांकितम् चंदनम॥
जाती चम्पक बिल्वपत्र रचितं पुष्पं च धूपं तथा।
दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितम् गृह्यताम्॥
सौवर्णे नवरत्न खंडरचिते पात्र धृतं पायसं।
भक्ष्मं पंचविधं पयोदधि युतं रम्भाफलं पानकम्॥
शाका नाम युतं जलं रुचिकरं कर्पूर खंडौज्ज्वलं।
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु॥
छत्रं चामर योर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निमलं।
वीणा भेरि मृदंग काहलकला गीतं च नृत्यं तथा॥
जाती चम्पक बिल्वपत्र रचितं पुष्पं च धूपं तथा।
दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितम् गृह्यताम्॥
सौवर्णे नवरत्न खंडरचिते पात्र धृतं पायसं।
भक्ष्मं पंचविधं पयोदधि युतं रम्भाफलं पानकम्॥
शाका नाम युतं जलं रुचिकरं कर्पूर खंडौज्ज्वलं।
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु॥
छत्रं चामर योर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निमलं।
वीणा भेरि मृदंग काहलकला गीतं च नृत्यं तथा॥
विज्ञापन
साष्टांग प्रणतिः स्तुति-र्बहुविधा ह्येतत्समस्तं ममा।
संकल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो॥
आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं।
पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः॥
संचारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो।
यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्॥
कर चरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व जय जय करणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥
ॐ जुं स:।
ॐ हौं जूं स:।
ॐ त्र्यंम्बकम् यजामहे, सुगन्धिपुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
ॐ ऐं नम: शिवाय।
ॐ ह्रीं नम: शिवाय।
ऐं ह्रीं श्रीं ‘ॐ नम: शिवाय श्रीं ह्रीं ऐं
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:
ॐ चं चंद्रमसे नम:
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
ॐ नमः शिवाय
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