4 साल की उम्र में आखिरी बार देखा था गांव, चित्र बनाकर 30 साल बाद परिवार को ढूंढा
- चीन के ली जिंगवेई बचपन में बाल तस्करी का शिकार हो गया था. ली जिंगवेई को न तो अपना असली नाम पता था, न ही अपने जन्म स्थान के बारे में. बाल तस्करी का शिकार हुए ली कई साल तक अपने गांव के परिदृश्य का चित्र बनाते रहे. ताकि वो उसे भूल ना जाएं. आखिरकार अपहरण किए जाने के 30 साल से अधिक समय बाद उसी तस्वीर की मदद से वो अपने परिवार से मिल पाए.
चीन में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. जिसने सबको हैरान कर दिया. यहां एक व्यक्ति ली जिंगवेई दशकों बाद अपने परिवार से मिला है. दरअसल ली जिंगवेई बचपन में बाल तस्करी का शिकार हो गया था. ली जिंगवेई को न तो अपना असली नाम पता था, न ही अपने जन्म स्थान के बारे में. बाल तस्करी का शिकार हुए ली कई साल तक अपने गांव के परिदृश्य का चित्र बनाते रहे. ताकि वो उसे भूल ना जाएं. आखिरकार अपहरण किए जाने के 30 साल से अधिक समय बाद उसी तस्वीर की मदद से वो अपने परिवार से मिल पाए.
1989 में ली जिंगवेई जब चार साल के थे तो बाल तस्करी का शिकार हुए थे. ली का एक पड़ोसी कार दिखाने के बहाने अपने साथ ले गया था. तब कार ग्रामीण इलाकों में दुर्लभ ही दिखती थी. ली ने बताया कि उन्होंने आखिरी बार अपना घर तभी देखा था. पड़ोसी उसे एक पहाड़ी के पीछे वाली सड़क पर ले गया, जहां तीन साइकिल खड़ी थी. चार अपहरणकर्ता इंतजार कर रहे थे. वो रोए, चिल्लाए, लेकिन अपहरणकर्ता उन्हें साथ ले गए. उन्होंने 'द एसोसिएटेड प्रेस' को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि 'मैं घर जाना चाहता था, लेकिन उन्होंने मुझे जाने नहीं दिया. दो घंटे बाद मुझे पता चल गया था कि मैं अब घर नहीं जा पाऊंगा और मैं बुरे लोगों के चंगुल में फंस गया हूं.'
सब कुछ भूल चुका था ली
घटना के बारे में ली ने बताया कि 'उन्हें याद है कि उन्हें एक ट्रेन में ले जाया गया और फिर हेनान में एक परिवार को बेच दिया गया. क्योंकि मैं बहुत छोटा था, केवल चार वर्ष का...मैं स्कूल भी नहीं जाता था, इसलिए मुझे कुछ याद नहीं था. अपने परिवार, गांव किसी का नाम भी नहीं. उन्हें केवल युन्नान प्रांत के झाओतोंग के दक्षिण-पश्चिमी शहर में उनके गांव की कुछ झलक याद थी. उन्हें पहाड़, बांस का जंगल, अपने घर के बगल में एक तालाब याद आता था, वे सभी जगह जहां वह खेला करते थे.'
चित्रकारी से ही पुलिस परिजनों से मिलवाने में मिली मदद
ली जिंगवेई ने बताया कि अपने अपहरण के बाद 13 साल की उम्र तक हर दिन वो अपने गांव का चित्र बनाते थे, ताकि उसे भूल न जाएं. पहले उसे वह जमीन पर और फिर स्कूल जाने पर कॉपी में बनाने लगे. उनके अपहरण के 30 साल से अधिक समय बाद, उनके गांव के लैंडस्केप की एक छोटी सी चित्रकारी से ही पुलिस को उनके माता-पिता और भाई-बहनों का पता लगाने में मदद मिली.
सोशल मीडिया पर डाला वीडियो
ली ने अपने दत्तक माता-पिता से बात करने का फैसला किया और 'डीएनए डेटाबेस' से मदद ली. लेकिन बहुत मददगार साबित नहीं हुआ. फिर उन्हें ऐसे एक स्वयंसेवक मिले, जिन्होंने सुझाव दिया कि वो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'डॉयिन' पर अपना एक वीडियो डालें और साथ ही उस चित्र को भी साझा करें, जो उन्होंने अपनी याद से बनाया है. ली के इस वीडियो को करीब 10 हजार लोगों ने देखा और तस्वीर से गांववालों को उनके परिवार की पहचान करने में मदद मिली.
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