मेरठ: मोहर्रम पर नहीं निकाले जाएंगे जुलूस, 31 सितंबर तक धार्मिक आयोजन प्रतिबंधित

Smart News Team, Last updated: Fri, 14th Aug 2020, 7:33 AM IST
  • इस मुहर्रम पर सार्वजनिक स्थानों पर नहीं स्थापित होगा ताजिया. सरकारी गाइडलाइन के तहत 31 अगस्त तक प्रतिबंधित हैं धार्मिक कार्यक्रम. कोरोना महामारी को देखते हुए प्रशासन ने लिया निर्णय.
प्रतीकात्मक तस्वीर 

मेरठ। मुस्लिमों के प्रसिद्ध त्यौहार मोहर्रम पर इस बार जुलूस नहीं निकाला जाएगा. साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर ताजिया भी स्थापित नहीं किया जाएगा. कोरोना महामारी के चलते प्रशासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है. सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन को फॉलो नहीं करने वालों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी.

पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन और शोहदा-ए-कर्बला की याद में इस बार मोहर्रम 21 अगस्त से प्रारंभ होने की संभावना है. हुसैनी सोगवार कोरोना के चलते मोहर्रम अजादारी के सिलसिले में फिक्रमंद थे

कोरोना संक्रमण के चलते सरकार की गाइडलाइन तथा दुनिया के देशों से शिया मुस्लिमों के सर्वोच्च धर्मगुरु से पूछे गए सवालों के जवाब के मद्देनजर इस बार मोहर्रम पर जुलूस नहीं निकालने का निर्णय लिया गया है.

मोहर्रम कमेटी के संयोजक सैय्यद शाह अब्बास सैफी के नेतृत्व में अली हैदर रिजवी, हाजी शमशाद अली जैदी, हैदर अली व हामिद अली जमाल और अन्य जुलूसों के प्रबंधकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को एडीएम सिटी अजय कुमार तिवारी से मुलाकात की.

मोहर्रम जुलूसों की सूची सौंपते हुए आयोजन के लिए दिशा-निर्देश मांगे. इस पर एडीएम सिटी ने स्पष्ट किया कि धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन के सिलसिले में सरकारी गाइडलाइन के तहत 31 अगस्त तक प्रतिबंध है.

उन्होंने आश्वासन दिया कि इमाम बारगाह और अजाखानों के आसपास क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था, बिजली आपूर्ति व पुलिस सुरक्षा के सिलसिले में संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करेंगे.

इसके बाद लिया निर्णय

दुनिया के देशों से शिया मुस्लिमों के सर्वोच्च धर्मगुरु आयतुल्लाह सैयद अली अल हुसैनी सीसतानी के मरकाजी दफ्तर नजफ-ए-अशरफ इराक से पूछे गए प्रश्नों के जवाब में कहा गया है कि हजरत इमाम हुसैन और शोहदाये कर्बला की अजादारी में और मजलिसों के आयोजन में अपने देश की सरकार के स्वास्थ्य विभाग के सभी नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए.मास्क के इस्तेमाल और अन्य सुरक्षा उपाय भी किए जाने चाहिए.

उसी के साथ जारी में टीवी चैनलों और इंटरनेट पर मजलिस के सीधे प्रसारण पर बल दिया गया है, ताकि सोगवार अपने घरों में रहकर भी परिवार के साथ शौहदाये कर्बला का गम मना सकें.

यह भी कहा गया कि इमाम बारगाह और अजाखानों में सियाह परचम और इमाम हुसैन की अजादारी के प्रतीक चिह्न मुबारक लगाए जाने चाहिए. तबर्रूक बांटने और नजर नियाज में स्वास्थ्य नियमों का पालन किया जाना जरूरी है.

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