'मरघट वाली मां' नाम से मशहूर मेरठ का मंशा देवी मंदिर चिताओं पर है बना

Smart News Team, Last updated: Sun, 4th Jul 2021, 11:51 AM IST
  • मंदिर के प्रमुख पुजारी भगवत गिरी के मुताबिक इस जमीन पर पहले जंगल और शमशान हुआ करते थे. उस वक्त लोग यहां पर आने से डरते थे, क्योंकि लोगों का मानना था कि शमशान में भूतप्रेत वास करते हैं. इस जमीन पर 8 गांव का शमशान हुआ करता था.
कथाओं के अनुसार शमशान के बीचों-बीच माता की एक मूर्ति स्थापित थी. इसलिए यह मंदिर 'मरघट वाली मां' के नाम से भी मशहूर हुआ.

मेरठ शहर के जागृति विहार इलाके में स्थित मां मंशा देवी के मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पर आया कोई भी श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटता. मां मंशा अपने सभी भक्तों की इच्छा को पूरा करती हैं. आजादी से पहले बना ये मंदिर बेहद ही प्राचीन है. यह श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है. इस मंदिर में स्थापित मां मंशा देवी की मूर्ति सिद्ध है. इसका निर्माण साढ़े चार बीघा जमीन पर हुआ था, यहां मुख्य मंदिर के साथ ही अन्य 25 मंदिर भी स्थित हैं. जिनमें अलग-अलग देवी-देवताओं की मूर्तियां विराजमान हैं.

शमशान में बना था मां मंशा देवी का मंदिर: मंदिर के प्रमुख पुजारी भगवत गिरी के मुताबिक इस जमीन पर पहले जंगल और शमशान हुआ करते थे. उस वक्त लोग यहां पर आने से डरते थे, क्योंकि लोगों का मानना था कि शमशान में भूतप्रेत वास करते हैं. इस जमीन पर 8 गांव का शमशान हुआ करता था. हालांकि, प्रमुख रूप से यह औरंगशाहपुर डिग्गी गांव की जमीन थी. मंदिर के पुजारी का कहना है कि उनके दादा स्वर्गीय बाबा रामगिरी ने मंदिर की देखरेख का काम शुरू किया था.

यहां मुख्य मंदिर के साथ ही अन्य 25 मंदिर भी स्थित हैं. जिनमें अलग-अलग देवी-देवताओं की मूर्तियां विराजमान हैं.

'मरघट वाली मां' के नाम से मशहूर है 'मंशा देवी मंदिर': कथाओं के अनुसार शमशान के बीचों-बीच माता की एक मूर्ति स्थापित थी. इसलिए यह मंदिर 'मरघट वाली मां' के नाम से भी मशहूर हुआ. साल 1990 में यहां पर भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर का निर्माण करवाया गया था. मंदिर के परिसर में बाबा राम गिरि की समाधि बनी हुई है.

रविवार को 'मंशा देवी' मंदिर में की जाती है विशेष पूजा: रविवार के दिन मंशा देवी मंदिर में विशेष पूजा की जाती है. इस दिन लोग दूर-दूर से मां मंशा के दर्शन करने और अपनी मन्नतें मांगने के लिए आते हैं. जिन भक्तों की मन्नतें पूरी हो जाती हैं वह रविवार के दिन विशेष भंडारे का आयोजन करते हैं. मान्यता है कि मां के चरणों में शीश झुकाकर जो कोई भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी सभी इच्छा मंशा देवी पूरी कर देती हैं.

मान्यता है कि मां के चरणों में शीश झुकाकर जो कोई भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी सभी इच्छा मंशा देवी पूरी कर देती हैं. (Credit: Mansa Devi Trust Meerut)

दिल्ली से मेरठ की दूरी: दिल्ली से मेरठ करीब 102.7 किलोमीटर दूर है. आप बस या फिर ट्रेन से मेरठ तक का सफर तय कर सकते हैं. बस के रास्ते दिल्ली से मेरठ पहुंचने में केवल 2 घंटे 24 मिनट का समय लगता है. अगर आप रेल से जाना चाहते हैं तो केवल 1 घंटे 47 मिनट में यह सफर तय कर सकते हैं.

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