Saraswati Puja: कब है बसंत पंचमी? जानें इस दिन मां सरस्वती की पूजा विधि, नियम और महत्व

Pallawi Kumari, Last updated: Thu, 20th Jan 2022, 5:03 PM IST
  • बसंत पंचमी पर ज्ञान, वाणी और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस बार बंसत पंचमी का त्योहार 5 फरवरी को है. हिंदू धर्म के हर त्योहार की तरह बंसत पंचमी का भी खास महत्व होता है. आइये जानते हैं बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा का महत्व, पूजा विधि, नियम और शुभ मुहूर्त.
सरस्वती पूजा

हिंदू धर्म में हर व्रत त्योहार का अलग और खास महत्व होता है. हर व्रत व त्योहार अलग अलद देवी देवताओं की पूजा के लिए जाना जाता है. इसी माघ मासके शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही मां सरस्वती का अवतरण ब्रह्माजी के मुख से हुआ था. इसलिए इस दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है और मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस बार शनिवार 5 फरवरी को सरस्वती पूजा की जाएगी.

विद्यार्थी, नौकरी पेशा और कला क्षेत्र से जुड़े लोग बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा जरूर कर करियर और परीक्षा में सफल होने की कामना करते हैं. आइए विस्तार से जानते हैं सरस्वती पूजा महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.

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बसंत पंचमी पर क्यों की जाती है मां सरस्वती की पूजा-

मां सरस्वती के जन्म कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने मनुष्य की रचना की. लेकिन ब्रह्मा जी अपनी रचना से संतुष्ट नहीं थे और सभी तरफ उदासी से सारा वातावरण मूक था. ये देख ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल से जल छिड़का और उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक सुंदर स्त्री के रूप में देवी प्रकट हुईं. उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी. तीसरे में माला और चौथे हाथ में वर मुद्रा में था. ये देवी मां सरस्वती थीं. कथा में कहा जाता है मां सरस्वती ने जब वीणा बजाई तो संसार की हर चीजों में स्वर आ गया. ये दिन माघ मास की शुक्ल पक्ष पंचमी का इसलिए तब से इसी दिन मां सरस्वती की पूजा की जाने लगी.

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त-

पंचमी तिथि आरंभ - 05 फरवरी, शनिवार, प्रातः 03 बजकर 48 मिनट पर

पंचमी तिथि समापन 06 फरवरी, रविवार, प्रातः 03 बजकर 46 मिनट तक

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त- 5 फरवरी , शनिवार सुबह 07:07 बजे से दोपहर 12:35 तक

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