Saraswati Puja 2022: चार भुजाधारी हैं देवी सरस्वती, क्या है मां शारदे की हर भुजा का अर्थ
- शिक्षा, ज्ञान और उत्कृष्टता की देवी मां सरस्वती की पूजा का हिंदू धर्म में खास महत्व होता है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा-उपासना की जाती है. मां सरस्वती ज्ञान का प्रतीक मानी जाती हैं. ये चार भुजाधारी होती हैं और हर भुजाएं हिंदू धर्म ग्रंथ में मुख्य चार वेदों का प्रतीक माना जाता है.

हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस बार 5 फरवरी 2022 को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन मां सरस्वती का अवतरण हुआ था. भगवान बह्मा ने पहले सृष्टि की रचना की लेकिन सृष्टि को सुंदर बनाने के लिए उन्होंने मां सरस्वती की उत्पत्ति की.
मां सरस्वती का स्वरूप- मां सरस्वती के स्वरूप की बात करें तो मां कभी भी चमकीले रंगों में नहीं सजतीं. उनकी वस्त्र सफेद होते हैं जो शांति और पवित्रता का प्रतीक है. देवी सरस्वती ने शुद्ध और उदात्त प्रकृति मुकुट धारण किया होता है. इसके अलावा मा की चार भुजाएं होती हैं जो हिंदू धर्म ग्रंथ में मुख्य चार वेदों के भी प्रतीक हैं.
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मां सरस्वती की चार भुजाओं का अर्थ-शास्त्रों में माँ सरस्वती के चार भुजाओं के बारे में वर्णन किया गया है जो चार पहलुओं को दर्शाती हैं: मन, सतर्कता, बुद्धि और अहंकार. मां के चार भुजाओं में एक हाथ में माला, दूसरे में पुस्तक और दो अन्य हाथों में वीणा बजाती नजर आती हैं. सुरों की अधियाष्ठी होने के कारण इनका नाम सरस्वती पड़ा. मां सरस्वती को देवी शारदे भी कहा जाता है.
कैसे हुआ मां सरस्वती का अवतरण- हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा जी ने जब संसार की रचना की तो उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए. लेकिन इसके बाद भी वह अपनी रचना से संतुष्ट नहीं थे क्योंकि उन्हें इनमें कुछ कमी लग रही थी. तब ब्रह्मा जी ने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई. उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था. ये देवी सरस्वती थी.
ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा. जैसे वीणा बजी, ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज में स्वर आ गया. तब ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया. कहा जाता है ये दिन बसंत पंचमी का था. इसलिए हर साल बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा की जाती है.
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