Sawan 2021: सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत, आज इन मुहूर्त में भूलकर ना करें पूजा
- सावन के महीने में सिर्फ सोमवारी व्रत ही नहीं बल्कि मंगलवार को भी खासतौर पर मां मंगला गौरी की पूजा की जाती है. सावन का मंगलवार भी बहुत खास होता है. आज सावन के दूसरे मंगलवार पर मां मंगला गौरी की पूजा करने और व्रत रखने भोलेनाथ के साथ मां गौरी का भी आशीर्वाद मिलता है.
सावन माद की शुरुआत 23 जुलाई से हो गई है. सावन का पूरा महीना पूजा पाठ को लेकर खास और शुभ माना जाता है. इतना ही नहीं किसी भी नए काम को करने के लिए सावन का महीने बेहद शुभ होता है. वैसे तो सावन में हर दिन त्योहार और व्रत होते है. लेकिन सावन के सोमवारी और अन्य व्रत के साथ ही सावन का मंगलवार भी खास होता है. सावन के मंगलवार को मां मंगला गौरी की पूजा अर्चना करने का खास महत्व होता है. कहा जाता है सावन का मंगलवार मां मंगला गौरी को प्रिय होता है.
सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत आज यानी 3 अगस्त को है.ऐसे में आज के दिन सुहागिन महिलाएं मां मंगला गौरी का व्रत करती है. सुखमय वैवाहिक जीवन, संतान प्राप्ति सुख के लिए मां मंगला गौरी का व्रत किया जाता है. इस बार सावन में चार सोमवारी के साथ चार मंगलवार भी पड़ रहे हैं. मंगला गौरी के व्रत में माता पार्वती के स्वरूप की पूजा की जाती है. ऐसे में जानते हैं इस व्रत से जुड़ी पूजा विधि, महत्व और खास बातें. साथ ही जानते हैं उन मुहूर्त के बारे में जिसमें आपको भूलकर भी पूजा नहीं करनी चाहिए.
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व्रत और पूजा विधि- सुबह स्नान करके सफेद और लाल कपड़े से माता की चौकी तैयार करें. चावल और पान का पत्ता रख कर चौकी को स्थापित करें. इसके बाद चावल से नवग्रह और गेहूं से सोलह ढ़ेर तैयार करें और गणपति को विराजमान करें. गणपति में चालव, फूल, धूप आदि से पूजा करें. गणपति के बाद माता गौरी की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें. हाथ में फूल, अक्षत लेकर माता की विनती कर व्रत का संपल्प ले और अपनी मनोकामना कहें. मंगला गौरी सुहागिनों के 16 श्रृंगार का सामान चढ़ाएं और 16 दीप जलाएं. मंगला गौरी की व्रत कथा पढ़े और आरती के साथ पूजा समाप्त करें. ध्यान रहे इस दिन शाम को व्रत खोल कर फल ही रहना चाहिए.
इन मुहूर्त में भूलकर भी ना करें मंगला गौरी की पूजा- राहुकाल, यमगंड, गुलिक काल, दुर्मुहूर्त काल और भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य या पूजा व्रत करना शुभ नहीं माना जाता है. इसलिए आज आप इन मुहूर्त पर पूजा ना करें.
राहुकाल- दोपहर 03 बजे से 04 बजकर 30 मिनट तक. यमगंड- सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक. गुलिक काल- दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक. दुर्मुहूर्त काल- सुबह 08 बजकर 25 मिनट से 09 बजकर 19 मिनट तक रहेगा इसके बाद मध्य रात्रि 11 बजकर 24 मिनट से 12 बजकर 06 मिनट तक और भद्राकाल- सुबह 05 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 59 मिनट तक.
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