कश्मीर से कन्याकुमारी तक शान से लहराते हैं मेरठ के गांधी आश्रम में तैयार तिरंगे
- स्वतंत्रता दिवस पर देशभर में फहराए जाने वाले तिरंगे मेरठ में तैयार किए जाते हैं. श्रीगांधी आश्रम में तैयार तिरंगे को राष्ट्रीय पर्वों पर देश में शान से लहराते हैं.

स्वतंत्रता दिवस पर देशभर के लिए तिरंगे मेरठ में तैयार किए जाते हैं. कश्मीर से कन्याकुमारी तक त्याग, शांति और समृद्धि के रंगों को खुद में समेटे तिरंगे राष्ट्रीय पर्वों पर शान से लहराते हैं. इन तिरंगों को मेरठ के श्रीगांधी आश्रम में तैयार किया जाता है.
तिरंगे को तैयार करने के पीछे कई लोगों की मेहनत होती है जिसमें गांवों में सूत की कताई और बुनाई के साथ खादी के थान तैयार किए जाते हैं। वहीं थान को रंगने का काम किया जाता है. फिर जरूरत और साइज के अनुसार कटिंग की जाती है.
अशोक चक्र छपने का काम मेरठ के श्रीगांधी आश्रम में किया जाता है. वहीं सिलाई करके तिरंगे को पूरा किया जाता है.
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भारत को अंग्रेजी हूकुमत से आजादी मिलने से पहले भी मेरठ में तिरंगे तैयार किए जाते थे. श्रीगांधी आश्रम के पदाधिकारी और कर्मचारियों ने बताया कि मेरठ के आजादी से पहले से तिरंगा तैयार किया जाता है. पहले चक्र की जगह चरखा छापा जाता था. वहीं देश आजाद होने के बाद चरखे की जगह चक्र की छपाई शुरू की गई.
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गांधी आश्रम के पदाधिकारी के अनुसार कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक मेरठ में बने हुए तिरंगे ही फहर रहे हैं. सरकारी नियमों के अनुसार आजाद भारत के अकबरपुर, मुंबई और मेरठ के गांधी आश्रम में ही तिरंगे तैयार किए जाते हैं. गांधी आश्रम में काम कर रहे लोग यही गीत गाते हैं, मेरी जान तिरंगा है.
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