नदियों और मनुष्य के बीच खत्म हुए रिश्ते को दोबारा स्थापित करना जरूरी- जल पुरुष
- हिंदुस्तान से बात करते हुए जलपुरुष राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि अगर नदियां नहीं बची तो समाज भी नहीं बचेगा. इसलिए जरूरी है कि नदियों और मनुष्य के बीच खत्म हुए रिश्ते को दोबारा स्थापित किया जाए.
मेरठ. जलपुरुष से मशहूर राजेन्द्र सिंह ने देश में नदियों की स्थिति को लेकर जिंता जाहिर की है. राष्ट्रीय नदी दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा कि नदियों को बचाने के लिए के लिए राज और समाज दोनों को आगे आना होगा. उन्होंने कहा कि अगर नदियां नहीं बची तो समाज भी नहीं बचेगा. नदियों को लेकर लोग जागरूक हो. नदियों को स्वस्छ और सदानीरा बनाए.
राजेंद्र सिंह ने हिंदुस्तान के साथ बातचीन में कहा कि पहले नदियों को मां करते थे, लेकिन अब नदियां मैला ढोने वाली नदियां बन गई हैं. उन्होंने कहा कि अगर हमारी नदियां बीमार हुई तो मनुष्य भी बीमार रहने लगेगा. भारत विश्व गुरु कहलाता था. देश दुनिया को सिखाता था. ज्ञान की परंपरा में गंगा नदी सर्वोच्च थी.
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गंगाजल में मानवीय रोगाणुओं को नष्ट करने की क्षमता थी. लेकिन मानव ने मां की शक्ति को क्षीण कर दिया. मां को महरी बना दिया. नदियों की हालत देखकर भारत की संस्कृति का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि नदियों को लेकर जागरूक होना होगा. बीमार हुई नदियों का समाधान खोजना होगा. नदियों और मनुष्य के बीच जो रिश्ता खत्म हुआ है, उसे दोबारा स्थापित करना होगा. सरकार, गांव, नगर पालिका और नगर निगम से संवाद करना होगा. बातचीत में राजेंद्र सिंह पिछले 37 सालों में नदियों की बुरी स्थिति को लेकर भावुक हो गए. उन्होंने अपील की कि समाज आर्थिक, स्वास्थ्य, संस्कृति, सभ्यता के साथ नदियों के आनंद से जुड़े. वह नदियों के और पास जाए. नदी सबसे बड़ी शिक्षक भी होती है. मानव के साथ टूट गए रिश्तों को नदियों से जोड़े.
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