अफगानिस्तान से लौटे डॉ. सैयद को पढ़ाने के लिए बाख्तर विवि से आया ऑफर, कहा भारत में तलाश रहे बेहतर विकल्प

Shubham Bajpai, Last updated: Tue, 14th Sep 2021, 1:01 PM IST
  • अफगानिस्तान से मुजफ्फरपुर अपने घर पहुंचे डॉ. सैयद आबिद हुसैन के पास काबुल स्थित बाख्तर यूनिवर्सिटी से पढ़ाने के लिए ऑफर आया है. जिसको उन्होंने मना कर दिया. डॉ. हुसैन ने कहा कि अब अफगानिस्तान जाना भारत के साथ उसके संबंधों पर निर्भर करेगा. साथ ही अब भारत में बेहतर विकल्प तलाश की जाएंगे.
अफगानिस्तान से लौटे डॉ. सैयद को पढ़ाने के लिए बाख्तर विवि से आया बुलावा

मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर के पूर्व डिप्टी मेयर सैयद माजिद हुसैन के बड़े भाई डॉ. सैयद आबिद हुसैन भी अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद सत्ता परिवर्तन के चलते फंस गए थे. जिन्हें विदेश मंत्रालय की मदद से काफी जद्दोजहद के बीच भारत लाया गया. अब डॉ. हुसैन के पास काबुल स्थित बाख्तर यूनिवर्सिटी से पढ़ाने का ऑफर आया है. यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट उनसे ऑनलाइन क्लास व एग्जाम लेने को कह रहा है. जिस पर डॉ. सैयद का कहना है कि अब अफगानिस्तान जाना भारत के उसके साथ संबंध पर निर्भर करेगा. वहां अभी काफी अनिश्चचितता है.

अफगानिस्तान जाने से बेहतर भारत में नए विकल्प तलाशे

डॉ. सैयद आबिद हुसैन ने कहा कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद अब अफगानिस्तान नया देश बन रहा है. वहां काफी अनिश्चितता है. अब जब भारत के संबंध तालिबान सरकार से बेहतर होंगे, तभी वापस जाने का निर्णय लेंगे. अभी वहां जाने से कई ज्यादा बेहतर है कि हम भारत में ही कोई विकल्प तलाश करें.

मुजफ्फरपुर में बैंक लूटने गए बदमाशों से पुलिस की मुठभेड़, 6 घायल, एक अपराधी की मौत

अब बदल गई वहां की शिक्षा व्यवस्था

डॉ. सैयद आबिद हुसैन का कहना है कि नई सरकार के बाद से अफगानिस्तान की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बदल गई है. अब वहां किसी भी क्लास में 15 से अधिक छात्राएं होने पर अलग क्लास लगाई जा रही है. वहीं, यदि कम संख्या है तो छात्र और छात्रा एक क्लास में साथ पढ़ तो सकते हैं, लेकिन उस क्लास में बीच में पर्दा डालना होगा.

बिहार पंचायत चुनाव में उम्मीदवार का अनोखा घोषणापत्र- जीते तो बाइक, बीड़ी, खैनी फ्री देंगे नेता जी

विदेश मंत्रालय की मदद से वापस लौटा भारत

डॉ. हुसैन ने बताया कि तालिबान सरकार 15 अगस्त को ही सत्ता में काबिज हो गई थी. इसके बाद देश तालिबान के नियंत्रण में चला गया. वहीं, एयरबेस बंद होने के बाद परेशान होने लगी. मेरे पास टिकट रहने के बाद भी अपने देश नहीं लौट पा रहे थे. एक हफ्ते के बाद विदेश मंत्रालय, भारत सरकार की मदद से 24 अगस्त को नई दिल्ली पहुंच गए. जहां 1 सितंबर तक क्वारंटाइन रहने के बाद बीबी और दोनों बच्चों से मिल सका. 

 

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें