बिहार की अदालतों में 11.91 लाख लंबित मुकदमे, पटना सबसे ऊपर, तीसरे पर मुजफ्फरपुर

Smart News Team, Last updated: Fri, 15th Jan 2021, 4:48 PM IST
स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों के आंकड़ों के अनुसार बिहार की अदालतों में साल 2019 के खत्म होने के बाद लंबित मुकदमों की संख्या 11.91 लाख है जो कि 2018 में 10.67 लाख थी. पेंडिग केसों के मामले में पटना सबसे ऊपर 1 लाख 41 हजार 643 मामलों के साथ है. फिर मोतिहारी (80984) और उसके बाद मुजफ्फरपुर (56835) है.
बिहार की अदालतों में 11.91 लाख लंबित मुकदमे, पटना सबसे ऊपर, तीसरे पर मुजफ्फरपुर ( सांकेतिंक फोटो )

मुजफ्फरपुर. बिहार की अदालतों में हर साल मुकदमे बढ़ रहे हैं. साल 2019 के खत्म होने के बाद लंबित मुकदमों की संख्या 11.91 लाख है जो कि 2018 में 10.67 लाख थी. यह हमारे नहीं स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों के आंकड़े है. 

कुल ट्रायल के मामलों में से सिर्फ दो प्रतिशत मामलों में ही कोर्ट फैसला सुना पाई है. इसमें से 12 फीसदी मामलों में ही सजा मिल सकी है. बाकि आरोपितों को दोषी साबित नहीं किया जा सका. स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों के आकंड़ों के अनुसार 2019 में न्यायालयों में कुल 20 हजार 726 केस का ट्रायल पूरा हुआ. इनमें से  पर्याप्त सबूत न होने के कारण 17 हजार 920 आरोपितों को रिहा कर दिया गया. सिर्फ 2574 दोषियों को सजा मिली.

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इससे पता चलता है कि हर 10 केस में से एक केस में ही एक साल में अदालत का फैसला आ पाता है. नौ मुकदमे एक साल सुनवाई के लिए लंबित ही रह जाते हैं. ये केस सिर्फ जिलों के हैं. इसमें रेलवे के मामले शामिल नहीं है वरना ये आकंड़े ज्यादा होते है.

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साल 2018 और 2019 में कुल लंबित मामलों का एवरेज निकालने पर पता चलता है कि करीब 98 प्रतिशत केस लंबित रह जाते हैं. संसद में सवाल के जवाब में 5 जनवरी 2019 को सरकार ने जवाब दिया था कि बिहार में न्यायधीश के कुल 1847 पद है लेकिन 1152 जज ही इस समय काम कर रहे हैं. पेंडिग केसों के मामले में पटना जिला सबसे ऊपर 1 लाख 41 हजार 643 मामलों के साथ है. दूसरे पर मोतिहारी (80984), तीसरे पर मुजफ्फरपुर(56835), चौथे पर सारण(47987) और पांचवे पर गया 41 हजार 733 लंबित मुकदमों के साथ है.

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