NFHS सर्वे से चिंताजनक खुलासा! बिहार के 69 फीसदी बच्चों में जन्म से सांस की बीमारी
- बिहार में 69 फिसदी नवजात बच्चे के 2 हफ्ते बाद ही सांस में संक्रमण की बीमारी के शिकार हो जाते हैं. मुजफ्फरपुर में यह आंकड़ा 80 फ़ीसदी है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) में इसका खुलासा हुआ है.

मुजफ्फरपुर. बिहार में 69 फिसदी नवजात बच्चे के 2 हफ्ते बाद ही सांस में संक्रमण की बीमारी के शिकार हो जाते हैं. मुजफ्फरपुर में यह आंकड़ा 80 फ़ीसदी है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) में इसका खुलासा हुआ है. मुजफ्फरपुर में पिछले 5 वर्षों में यह संख्या 25 फिसदी बढ़ गई है. बच्चे जन्म के बाद साथ में संक्रमण का शिकार होते थे पूरे बिहार में यह आंकड़ा 10 फ़ीसदी बढ़ा है.
सदर अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुषमा आलोक ने बताया कि बच्चों में सबसे पहला संक्रमण सांस की नली में ही होता है. प्रसव के दौरान सफाई नहीं रखने से संक्रमण हो जाता है. सांस की नली से लेकर कपड़े तक संक्रमित हो जाते हैं. बच्चों में निमोनिया इसी संक्रमण से होता है. वहीं, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर चिन्मयन ने बताया कि जन्म के बाद स्तनपान नहीं कराने से भी बच्चे संक्रमण का होते हैं. साथ ही बाहरी दूध पिलाने से संक्रमण बच्चों में पहुंच जाता है. जन्म के समय बच्चों को प्रतिरोधक क्षमता कम रहती है, इसलिए मां का दूध जरूरी होता है. हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के साथ यह बीमारी चली जाती है पर शुरुआती दौर में विशेष सावधानी की जरूरत होती है.
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जन्म से दूसरे हफ्ते से ही बुखार से हो जाते हैं पीड़ित
सांस से संक्रमण के साथ बच्चे जन्म के दूसरे हफ्ते से बुखार से पीड़ित हो जाते हैं. बुखार के बाद ही संक्रमण में सांस की समस्या आती है. डॉक्टरों ने बताया कि इसे एक्यूट रिस्पेरेट्री सिंड्रोम कहा जाता है. इस बीमारी से पहले बच्चों को बुखार होती है फिर सांस फूलने लगती है.
कोरोना के डर से अस्पताल में कम हो रहे प्रसव
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सुमन आलोक ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से कोरोना के कारण अस्पताल में प्रसव की संख्या घटी है. अधिकांश प्रसव घरों में हो रहे हैं इस कारण भी बच्चे में संक्रमण हो रहा है घरों में सफाई का ध्यान नहीं रखने से बच्चे में संक्रमण तेजी से होता है. इससे बच्चों में सांस की नली में संक्रमण की बीमारी बड़ी है.
बच्चों को इस बीमारी से कैसे बचाएं
.प्रसव के दौरान सफाई रखें
.अस्पताल में ही प्रसव कराएं
.गर्भ अवस्था में पोषण का ध्यान रखें
. नवजात को ही मां का दूध पिलाएं
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