Chhath Puja 2021: पहली बार कर रहे हैं छठ पूजा, तो दौरान ध्यान रखें ये बातें, इन नियमों का पालन करना है जरूरी
- छठ पूजा को लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है. इसमें सूर्य देव और छठी मईया की अराधना की जाती है. अगर आप इल साल पहली बार छठ व्रत करने जा रहे हैं, तो ऐसे में जान लें नियम. इन नियमों का पालन करना छठ पूजा के दौरान बेहद जरूरी हो जाता है.

छठ पूजा की शुरुआत सोमवार 8 नवंबर से हो रही है जो 11 नवंबर तक चलेगी. छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इसमें छठी मईया और सूर्य देव की अऱाधना की जाती है. छठ में सबसे पहले नहाय-खाय फिर खरना और इसके बाद तीसरे दिन ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. छठ व्रत को लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है. जिस घऱ में छठ पूजा होती है, वहां विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है. अगर आप पहली बार छठ का व्रत करने जा रही हैं और आपको इसके नियमों के बारे में नहीं मालूम तो यहां जानिए छठ पूजा के दौरान जरूरी नियम.
छठ पूजा के जरूरी नियम-
व्रती छठ पर्व के चारों दिन व्रती को नई साड़ी पहननी चाहिए, वहीं पुरुष को धोती पहननी चाहिए.
छठी का प्रसाद हमेशा ऐसे चूल्हे पर लक़ी से बनाएं. क्योंकि ये शुद्ध होते हैं.
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छठ पूजा के दौरान कभी भी स्टील या शीशे के बर्तन प्रयोग नहीं करें. पूजा में केवल तांबा, पीतल या कांसा से बने धातु के बर्तन का इस्तेमाल करना चाहिए.
छठ करने वाले व्रथी को इस दौरान जमीन पर चटाई या पुआल (पराली) बिछाकर सोना चाहिए.
घऱ पर छठ पूजा के दौरान प्याज, लहसुन और मांस-मछली पर पूरी तरह से मनाही होनी चाहिए. इस दौरान सिर्फ सात्विक भोजन ही करना चाहिए.
सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए सिर्फ बांस से बने सूप का प्रयोग करें.
जिस कमरे में छठ का प्रसाद बनता है वहां साधारण भोजन नहीं बनाना चाहिए. इसके साथ ही उस स्थान पर बैठकर खाना भी नहीं चाहिए.
छठ व्रत करने वाली व्रती की सेवा करना चाहिए.
सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए भूलकर भी स्टील, प्लास्टिक, चांदी या कांच के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
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