मुजफ्फरपुर: कोरोना काल में करवाचौथ की पूजा दौरान रखें ये सावधानी

Smart News Team, Last updated: Wed, 4th Nov 2020, 4:00 PM IST
  • आज करवाचौथ के पर्व पर सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. कोरोना ने व्रत की पूजा विधि-विधान और अन्य परंपराओं को प्रभावित किया है. सुहागिनों को व्रत की सारी रस्में निभाते हुए कोरोना प्रोटोकॉल का भी ध्यान रखना होगा.
करवा चौथ के दिन महिलाओं को करना चाहिए 

मुजफ्फरपुर. कोरोना काल में करवा चौथ के पावन पर्व को भी प्रभावित किया है. इस बार कोरोना कालखंड ने पर्व के प्रति आस्था, उल्लास को सीमित कर दिया है. इसका प्रभाव पारंपरिक पूजा, श्रृंगार, आभूषणों और कपड़ों पर दिख रहा है। कोरोना के प्रसार ने पर्व की रौनक कम कर दी है लेकिन महिलाएं परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना करके कोरोना से अपने सुहाग की रक्षा की कामना करेंगी. आज अखंड सुहाग के निमित्त महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी. चंद्रोदय के बाद विधिपूर्वक पूजन करके अर्घ्य देंगी. परंपरा के अनुसार पति को देखकर व्रत का पारण करेंगी. कोरोना के चलते इस बार महिलाएं सामूहिक पूजा में शामिल न होकर आनलाइन या लाइव वीडियो कॉल में कथाएं सुनेंगी. कोरोना संक्रमण से बचने के लिए इस तरह की सावधानी रखना बहुत जरूरी है.

पूजा समय शाम 6:04 से रात 7:19, उपवास समय सुबह – शाम 6:40 से रात 8:52, चौथ तिथि – सुबह 3:24 से 5 नवंबर सुबह 5:14 तक, चंद्रमा का उदय – 4 नवंबर रात 8.16 से 8:52 तक

इस व्रत में पूरे दिन निर्जला रहा जाता है. व्रत में पूरा श्रृंगार किया जाता है. महिलाएं दोपहर में या शाम को कथा सुनती हैं. कथा के लिए पटरे पर चौकी में जल भरकर रख लें. थाली में रोली, गेहूं, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई, बायना का सामान आदि रखते हैं. प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है. गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है.

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इस बात का ध्यान रखें कि सभी करवों में रौली से सतियां बना लें. अंदर पानी और ऊपर ढ़क्कन में चावल या गेहूं भरें. कथा के लिए पटरे पर चौकी में जलभरकर रख लें। थाली में रोली, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई, बायना का सामान आदि रखते हैं. प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है. गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. इसके बाद शिव परिवार का पूजन कर कथा सुननी चाहिए. करवे बदलकर बायना सास के पैर छूकर दे दें. रात में चंद्रमा के दर्शन करें. चंद्रमा को छलनी से देखना चाहिए, इसके बाद पति को छलनी से देख पैर छूकर व्रत पानी पीना चाहिए.

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