मुजफ्फरपुर में लीची उत्पादन क्षेत्र के विस्तार को अनुसंधान केंद्र करेगा पहल

Smart News Team, Last updated: Fri, 1st Jan 2021, 5:09 PM IST
  • सर्वे के मुताबिक मुजफ्फरपुर की 1.53 लाख हेक्टेयर भूमि लीची उत्पादन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है, अभी यहां 12 हजार हेक्टरेयर एरिया में ही लीची उत्पादन होता है. लीची की पैदावार बढ़ाने के लिए क्षेत्र को बढ़ाया जाना है.
मुजफ्फरपुर में लीची की अच्छी पैदावार हो रही है (फाइल फोटो)

मुजफ्फरपुर. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने राज्य के 37 जिलों को सर्वाधिक उपयुक्त पाया है. इनमें मुजफ्फरपुर का नाम भी है. सर्वे के मुताबिक मुजफ्फरपुर जिले की एक लाख 53 हजार हेक्टेयर भूमि लीची उत्पादन में सर्वाधिक उपयुक्त मिली है. गौर हो कि इस समय मुजफ्फरपुर में लीची की खेती सिर्फ 12 हजार हेक्टेयर भूमि पर ही होती है. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र यहां लीची उत्पादन के क्षेत्र विस्तार की पहल करेगा.

मुजफ्फरपुर की लीची प्रत्येक साल यूरोप के देशों में करीब 100 टन लीची के पल्प को निर्यात किया जाता है. उन देशों में इससे शरबत तैयार किया जाता है। इससे 20 वर्ष पहले यूरोप के देशों में सिर्फ 20 टन लीची का ही निर्यात किया जाता था. लीची पल्प के उद्यमी व इसके निर्यातक आरके कोडिया ने बताया कि पिछले कीच सालो में मुजफ्फरपुर की लीची को थाईलैंड की लीची ने विदेशों में चुनौती देने लगी है.लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशाल नाथ का कहना है कि लीची की पैदावार बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. भारत में शाही, चायना, देहरा रोज, बेदाना, कस्बा आदि लीची की प्रमुख किस्में हैं.

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राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशाल नाथ के मुताबिक जलोढ़ मिट्टी लीची की फसल के लिए उपयोगी होती है. इसी कारण से चीन और भारत में नदियों के आसपास लीची के बाग ज्यादा होते हैं. यूपी में गंगा और शारदा नदी के किनारे लीची की पैदावार के लिए अनुकूल हैं. चीन में आठ हेक्टेयर भूमि में लीची की खेती होती है और उत्पादन 31 लाख टन रहता है जबकि भारत में एक लाख हेक्टेयर में 7.5 लाख टन लीची का उत्पादन होता है. यदि बिहार के उपयुक्त क्षेत्र में लीची की खेती हो तो भारत में चीन से दोगुना ज्यादा उत्पादन हो सकता है.

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