Chhath Puja 2021: क्यों मनाया जाता है छठ, कैसे हुई इसकी शुरुआत, जानिए लोक आस्था के इस महापर्व की पौराणिक कथा

Pallawi Kumari, Last updated: Sun, 7th Nov 2021, 3:10 PM IST
  • कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला हिंदू पर्व छठ पूजा को लेकर कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं है. चार दिनों चलने वाले इस पर्व का इतिहास और इसकी कथाओं में यह बताया गया है कि कैसे छठ पूजा की शुरुआत हुई और क्या है इसका ऐतिहासिक महत्व.  
छठ पूजा का इतिहास.

इस साल छठ पूजा की शुरुआत सोमवार 4 नवंबर से हो रही है जो पूरे चार दिनों तक यानी 11 नवंबर तक चलेगा. छठी मईया और सूर्य देव की उपायना का ये लोकपर्व मुख्य तौर पर बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है. इसे हिंदू धर्म का सबसे कठिन व्रत कहा जाता है. वहीं बिहारियों के लिए ये एकमात्र ऐसा पर्व है जो उनकी संस्कृति से जुड़ा है. लेकिन अब देशभर में छठ पर्व प्रचलित हो चुका है.

छठ पूजा का पर्व पवित्रता, सादगी और आस्था के साथ मनाया जाता है. इसलिए इसे पर्व को लेकर आप इस बात को जानने के लिए जरूर इच्छुक होंगे की आखिर छठ पूजा की शुरुआत किसने की और सबसे पहले किसने ये व्रत शुरू किया होगा. आइये आपको बताते हैं क्या है छठ व्रत का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व. जानते हैं इससे जुड़ी प्रचलित कहानियां और मान्यताएं.

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एक मान्यता है कि, छठ की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने माता को कलंक से मुक्ति दिलाने के लिए सूर्य की पूजा करके की थी. भगवान सूर्य के परम भक्त कर्ण रोजना घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे. सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने थे. इसलिए आज भी छठ पूजा में कमर तक जल में खड़े होकर अर्घ्य देने की परंपरा है.

एक और कथा के अनुसार, जब भगवान राम और सीता 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की. ऐसा कहा जाता है कि माता सीता ने महर्षि मुद्गल के आश्रम में रहकर छह दिनों तक सूर्यदेव की पूजा की थी.

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